ऐसा राजा जिसके थे 1 हजार हाथ, 10 हजार पुत्र

ravanarjun_06_11_2015-300x225सदियों पहले एक बहुत ही शक्तिशाली राजा था। उसे लोग सहस्त्रबाहु के नाम से जानते थे, लेकिन उसका असली नाम था कार्तवीर्यअर्जुन। वह हैहय-वंश का राजा था। उसने भगवान दत्तात्रेय को प्रसन्न किया और उन्होंने उसे एक हजार हाथों का वरदान दिया। उसके करीब 10 हजार पुत्र थे।

एक हजार हाथ पाकर वह इतना शक्तिशाली हो गया कि उसे हराने की भूल कोई भी शासक न कर सका। एक दिन सहस्त्रबाहू नदी में अनेक सुंदरियों के साथ स्नान कर रहा था। इससे उस नदी का जल प्रवाह रुक गया। उसी समय दिग्विजय के लिए रावण भी निकला हुआ था। वह उसी नदी के किनारे आगे की ओर महिष्मतीपुरी के नजदीक डेरा डाले हुआ था।

अचानक आए नदी में जल के प्रवाह से रावण का डेरा बह गया। यह देख रावण की आंखें गुस्से से लाल हो गईं और वह सहस्त्रबाहु से युद्ध के लिए पहुंच गया। लेकिन सहस्त्रबाहु ने रावण को पकड़कर कैद कर लिया। सहस्त्रबाहु को लगता था कि रावण वीर पुरुष नहीं है इसलिए उसने रावण को कुछ दिनों बाद छोड़ दिया।

जब भय से भागे 10 हजार पुत्र

इस घटना के कुछ दिनों बाद सहस्त्रबाहू ऋषि जमदग्नि के आश्रम में पहुंचा। यहां उसने कामधेनु गाय के दर्शन किए। वह कामधेनु गाय को ले जाना जाता था। लेकिन ऋषि की इच्छा देने की नहीं थी। बलपूर्वक सहस्त्रबाहु ने कामधेनु का अपहरण कर लिया। राजा के जाने के बाद ऋषि जमदग्नि अपने पुत्र परशुराम के पास पहुंचे।

उन्होंने सारा घटनाक्रम सुनाया। भगवान परशुराम को यह बिल्कुल भी ठीक नहीं लगा और वह सहस्त्रबाहु से उसी समय युद्ध के लिए तत्पर हो गए। उन्होंने सहस्त्रबाहु की सेना को अकेले ही हरा दिया। और बाद में सहस्त्रबाहु के सभी हजार हाथ तीर से काट दिए। पिता सहस्त्रबाहु की मृत्यु का समाचार सुनकर उसके करीब 10 हजार पुत्र भय से भाग गए। इस तरह बछड़े सहित कामधेनु गाय वह अपने पिता के आश्रम में ले आए।

 

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