कथाः जब चित्रगुप्त की पूजा से राजा को मिली पाप से मुक्ति

chitragupt-1447402516-300x214प्राचीन काल में पृथ्वी पर सौराष्ट्र राज्य में सौदास नाम का राजा हुआ करता था वह बहुत दुराचारी और अधर्मी था। उसने अपने राज्य में घोषणा कर रखी थी कि उसके राज्य में कोई भी दान, धर्म, हवन, तर्पण समेत अन्य धार्मिक कार्य नहीं करेगा।

राजा की आज्ञा से वहां के लोग राज्य छोड़कर अन्य जगह चले गये। जो लोग वहां रह गए वे यज्ञ, हवन, तर्पण आदि नहीं करते थे जिससे उसके राज्य में पुण्य का नाश होने लगा।

एक दिन राजा शिकार करने जंगल में निकला और रास्ता भूल गया। वहां पर उसने कुछ मंत्र सुने। जब वह वहां गया तो उसने देखा कि कुछ लोग भक्तिभाव से किसी की पूजा कर रहे हैं। राजा इस बात को लेकर काफी क्रुद्घ हुआ और उसने कहा- मैं राजा सौदास हूं। आप लोग मुझे प्रणाम करें।

उसकी इस बात का किसी ने कोई उत्तर नहीं दिया और वे अपनी पूजा में मग्न रहे। यह सब देखकर राजा क्रुद्ध हो गया और उसने अपनी तलवार निकाल ली। यह देखकर पूजा में बैठा सबसे छोटा लड़का बोला- राजन आप यह गलत कर रहे हैं। हम लोग अपने इष्टदेव चित्रगुप्त भगवान की पूजा कर रहे है और उनकी पूजा करने से सभी पाप कर्म मिट जाते है। अगर आप भी चाहें तो इस पूजा में हम लोगों के साथ शामिल हो जाएं या हम लोगों को मार डालें।

राजा उस बालक की बात सुनकर काफी प्रसन्न हुआ और कहा तुझमें काफी साहस है। मैं भी चित्रगुप्त की पूजा करना चाहता हूं। इसके बारे में मुझे बताइए।

राजा सौदास की बात सुनकर लोगों ने कहा कि घी से बनी मिठार्इ, फल, चंदन, दीप, रेशमी वस्त्र, मृदंग और विभिन्न तरह के संगीत यंत्र बजाकर इनकी पूजा की जाती है।

राजा सौदास ने इसके बाद उनके बताए नियम का पालन करते हुए श्रद्धापूर्वक पूजा की और पूजा का प्रसाद ग्रहण अपने राज्य लौट गया। कुछ समय बाद राजा सौदास की मृत्यु हो गयी। यमदूत जब उसे लेकर यमलोक गए तो यमराज ने चित्रगुप्त से कहा- यह राजा बड़ा दुराचारी था। इसकी क्या सजा है?

इस पर चित्रगुप्त ने हंस कर कहा- मैं जानता हूं, यह राजा दुराचारी है और इसने कई पापकर्म किए हैं लेकिन इसने मेरी पूजा की आैर सभी पापकर्मों का प्रायश्चित किया। इसलिए मैं इस पर प्रसन्न हूं। अतः आप इसे स्वर्गलोक जाने की आज्ञा दें।

 

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