यहां पर ऐसे हुई थी सर्वप्रथम मनुष्य की उत्पत्ति

विज्ञान की नजर से देखें तो जीव (मनुष्य) की उत्पत्ति की एक अलग प्रक्रिया है, लेकिन हिंदू धर्म ग्रंथों विशेष तौर पर ऋग्वेद और उपनिषद का अध्ययन करें तो पता चलता है कि मनुष्य को ब्रह्माजी ने बनाया है।

manushtrupa_22_01_2016मनुष्य का शरीर पंचभूतों यानी अग्नि, वायु, जल, पृथ्वी और आकाश से मिलकर बना है। इन पंचतत्वों को विज्ञान भी मानता है। वायु को छोड़कर सभी 4 तत्व दिखाई देते हैं। महर्षि अरविंद ने अपनी किताब ‘दिव्य जीवन’ में मनुष्य के जन्म के बारे में विस्तार से बताया है।

दिव्य जीवन के अनुसार, ब्रह्म से आत्मा। आत्मा से जगत की उत्पत्ति हुई। पुराणों के अनुसार धरती पर जीवन की उत्पत्ति, विकास और उत्थान के बारे में बताया है। पृथ्वी सूर्य से निकली एक पिंड थी, जब धरती ठंडी होने लगी तो उस पर बर्फ और जल का साम्राज्य हो गया। तब धरती पर जल ही जल हो गया। इस जल में ही जीवन की उत्पत्ति हुई। आत्मा ने ही खुद को जलरूप में व्यक्त किया।

ब्रह्म से ब्रह्मा की उत्पत्ति हुई और ब्रह्मा ने स्यवं को दो भागों में विभक्त कर लिया। उनका एक रूप पुरुष स्वायंभुव मनु और एक भाग स्त्री यानी शतरूपा था। सप्तचरुतीर्थ के पास वितस्ता नदी की शाखा देविका नदी के तट पर मनुष्य जाति की उत्पत्ति हुई। पौराणिक मतानुसार आदि सृष्टि की उत्पत्ति ब्रह्मावर्त क्षेत्र यानी भारत के उत्तराखंड में ही हुई थी।

वेदों में सृष्टि की उत्पत्ति, विकास, विध्वंस और आत्मा की गति को पंचकोश के क्रम में समझाया गया है। पंचकोश क्रमशः अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय और आनंदमय हैं। पंचकोश को ही 5 तरह का शरीर भी कहा गया है। वेदों का यह धारणा विज्ञान सम्मत है।

 
 
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