हड्डियों के ढेर से तैमूरलंग को मालूम हुई अपनी कीमत

taimoor3-1453973336-300x214यह कहानी है तैमूरलंग और एक कवि की। तैमूर अपने अत्याचारों के लिए कुख्यात था। वो लूटमार के लिए जब निकलता तो शहर के शहर बर्बाद कर देता। इन्सानों की जान लेने से उसे कोई हिचक नहीं होती। वह लाशों के ढेर लगा देता। 
 
पूरी दुनिया में उसकी बेरहमी के चर्चे थे। कई हंसते-खेलते और खूबसूरत राज्य उसने मिट्टी में मिला दिए। इसी सिलसिले में वह बगदाद गया। वहां उसने कई लोगों का कत्ल कर उनकी खोपडिय़ों का ढेर लगा दिया।
 
अचानक उसके मन में सवाल उठा कि इस  ढेर की कीमत क्या है। उसने अपने गिरोह के लोगों को हुक्म दिया कि वे कोई ऐसा व्यक्ति ढूंढकर लाएं जो इस ढेर की कीमत बता सके। हुक्म देने भर की देर थी। गिरोह के लोग किसी बुद्धिमान आदमी की तलाश में जुट गए। 
 
आखिरकार वे एक कवि को पकड़कर ले आए। उसका नाम अहमदी था। उसे तैमूर के सामने हाजिर किया गया। 
 
तैमूर ने उससे पूछा- तुम्हारी बहुत तारीफ सुनी है। आज मैं तुमसे कुछ सवाल पूछूंगा। सबसे पहले मुझे बताओ कि मेरे पास जो दो गुलाम खड़े हैं, उनकी कीमत क्या है?
 
कवि ने कहा- इनमें से हर एक की कीमत कम से कम 4 हजार अशर्फियां हैं। 
 
यह सुनकर तैमूर खुश हुआ। उसने पूछा- अच्छा बताओ, मेरी कीमत क्या होगी?
 
कवि ने कहा- तुम्हारी कीमत 24 अशर्फी है। 
तैमूर अचंभित हुआ। गुलाम की कीमत हजारों में और उसकी कीमत सिर्फ 24 अशर्फी! 
 
उसने कवि से पूछा- मेरी कीमत इतनी कम क्यों? 24 अशर्फी तो मेरे कपड़ों की कीमत है। मेरी कीमत तो इससे ज्यादा होनी चाहिए। 
 
कवि ने जवाब दिया- मैंने तुम्हारे कपड़ों की ही कीमत बताई है जो इस वक्त तुमने पहन रखे हैं। तुम्हारी कीमत तो इतनी भी नहीं है। 
 
सबक
इन्सान की कीमत उसके रूप, रंग, कुल और पहनावे से नहीं होती। अगर मानव शरीर का उपयोग नेक कामों में किया जाए तो यह अनमोल है। अगर जिंदगी अन्याय, अत्याचार और खोटे कर्म करने में बिता दी तो यह शरीर व्यर्थ है।
 
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