हर जगह मौजूद हैं संगीत की देवी और संगीत

sarswamatai_2016212_93341_11_02_2016देवी सरस्वती ब्रह्माजी की पुत्री और पत्नी हैं। इस बात का विस्तार से उल्लेख हिंदू धर्म ग्रंथो में मिलता है। देवी सरस्वती को कला की देवी मानी जाती हैं। उन्हें वाक् देवी भी कहा जाता है, वह इसलिए क्योंकि उन्होंने ज्ञान और शब्दों की रचना की है। देवी सरस्वती का वाहन हंस है। वह कमल पर विराजती हैं। वीणा उनके हाथों में हमेशा मौजूद रहती है।

हिंदू धर्म ग्रंथों में उल्लेखित एक पौराणिक कहानी के अनुसार वीणा का सृजन स्वयं भगवान शिव ने पार्वती देवी के रूप को समर्पित करते हुए किया था। अमूमन धार्मिक काव्य ग्रंथों में सौंदर्य के प्रसंग में वीणा का उल्लेख होता है।

वैदिक साहित्य में वीणा का उल्लेख बारंबार संगीत के संदर्भ में होता है। मध्यकाल तक भी विभिन्न कलात्मक कृतियों में वीणा को शास्त्रीय संगीत से जोड़ा जाता रहा। उत्तर भारत में वीणा का स्थान प्रायः सितार ने लिया किंतु दक्षिण भारत में वीणा आज तक लोकप्रिय माना जा सकता है।देवी सरस्वती की पूजा भारत ही नहीं बल्कि दक्षिण एशिया के देशों थाइलैण्ड, इण्डोनेशिया, जापान एवं अन्य देशों में भी होती है। जापान में ‘बेंजाइटन’, म्यांमार में ‘थुयथदी’ और ‘तिपिटक मेदा’, चीन में ‘बियानचाइत्यान’ और थाईलैण्ड में देवी सरस्वती को ‘सुरसवदी’ के नाम से भी जाना जाता है।

 
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