भगवान राम से सबंधित साधनाए इसी लिए ज्यादातर उपलब्ध नहीं हो पाती है ! इन साधनाओ मे श्रद्धा की खास आवश्यता होती है. साधक के लिए इसमें इष्ट से एकीकरण की भावना विशेष रूप से होनी चाहिए. भगवान राम की साधना भी अपने आप मे उच्चकोटि की है ! वस्तुतः यह भगवान विष्णु के अवतार रहे है ! हनुमान उपासको के लिए तो यह साधना वरदान स्वरुप ही है ! क्यों की हनुमान साधना से पहले श्री राम से सबंधित साधना करने पर भगवान हनुमान साधक पर प्रस्सन होते है ! इस प्रकार कई द्रष्टिओ मे यह साधना उपयोगी है ! जीवन मे आध्यात्मिक वृति लेन के लिए भी यह साधना संपन्न करनी चाहिए !
साधना का विधान व नियम :- जिनके इष्ट राम है उनके लिए एक ऐसा ही विधान यहाँ पर दिया जा रहा है ! यह पूर्ण रूप से सात्विक विधान है !
इसमें साधक को निम्न मंत्र की ५१ माला ११ दिन तक करनी चाहिए ! यह जाप तुलसी की माला से हो ! दिशा उत्तर या पूर्व हो ! साधक सफ़ेद सूती वस्त्र तथा आसान का प्रयोग करे ! साधक को यह साधना एसी जगह पर करनी चाहिए जहा पर साधना काल मे कोई और व्यक्ति प्रवेश न करे ! इस प्रयोग के साथ ही साथ साधक हनुमान का भी यथा योग्य ध्यान जाप पूजा करे तो उत्तम है ! इस साधना मे साधक को भूमिशयन, ब्रम्हचर्य का पालन, संभव हो उतना मौन तथा एक समय सात्विक भोजन का पालन करना चाहिए ! इस साधना को किसी भी शुभ दिन से शुरू की जा सकती है ! समय रात्रि मे १० बजे के बाद का रहे तथा साधक राम चिंतन मे ही लीन रहे !श्रद्धा और विश्वास के साथ की गई साधना मे साधक को अंतिम दिन भगवान श्री राम के बिम्बात्मक दर्शन होते है तथा मनोकामना पूर्ण होती है !
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।