हम सभी इस बात से वाकिफ हैं कि कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी के नाम से पुकारते हैं वहीं कुछ लोग इस दिन को देवोत्थान एकादशी, देव उठनी ग्यारस, प्रबोधिनी एकादशी के नामों से भी पुकारते हैं. ऐसे में कहते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु क्षीर सागर में चार महीने की निंद्रा के बाद जागे हैं वहीं उनके जागने के बाद सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य आरंभ होते हैं इस वजह से यह त्यौहार मनाया जाता है. आप सभी को यह भी बता दें कि इस बार देवउठनी ग्यारस 19 नवंबर को है और कहते हैं कि इस दिन तुलसी माता की शादी की जाती है जिनके लिए उनकी आरती भी की जाती है. अब ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं ग्यारस के दिन तुलसी माता की कौन सी आरती करने से पुण्य मिलता है.

जय जय तुलसी माता
सब जग की सुख दाता, वर दाता
जय जय तुलसी माता ।।
सब योगों के ऊपर, सब रोगों के ऊपर
रुज से रक्षा करके भव त्राता
जय जय तुलसी माता।।
बटु पुत्री हे श्यामा, सुर बल्ली हे ग्राम्या
विष्णु प्रिये जो तुमको सेवे, सो नर तर जाता
जय जय तुलसी माता ।।
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वन्दित
पतित जनो की तारिणी विख्याता
जय जय तुलसी माता ।।
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में
मानवलोक तुम्ही से सुख संपति पाता
जय जय तुलसी माता ।।
हरि को तुम अति प्यारी, श्यामवरण तुम्हारी
प्रेम अजब हैं उनका तुमसे कैसा नाता
जय जय तुलसी माता ।।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।