प्रयागराज में मकर संक्रांति से शुरू हो रहा है अर्धकुंभ, जानें इससे जुड़ी कुछ बातें

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कुंभ मेले (Kumbh Mele) की शुरुआत भी मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2019) से होने वाली है। जो पूरे 50 दिन यानी 4 मार्च शिवरात्रि (Maha Shivratri) तक चलने वाला है। कुंभ मेले पर प्रयागराज में मौजूद त्रिवेणी (तीन नदियों के संगम) में सभी भक्त डुबकी लगाएंगे। मान्यता है कि इस त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने से सभी पापों का नाश हो जाता है। इस बार कुंभ में 12 करोड़ लोगों के आने का अनुमान है।

कुंभ मेले का आयोजन प्राचीन काल से हो रहा है कुंभ मेले का आयोजन चार जगहों पर होता है। हरिद्वार, प्रयाग, नासिक और उज्जैन में कुंभ का मेला होता है। इन चार स्थानों पर प्रत्येक 3 वर्ष के अंतराल में कुंभ का आयोजन होता है इसीलिए किसी एक स्थान पर प्रत्येक 12 वर्ष बाद ही कुंभ का आयोजन होता है।

शास्त्रों में है जिक्र

कुंभ मेले का वर्णन शास्त्रों में भी मिलता है। कहते हैं समुद्र मंथन के दौरान देवता-असुर जब अमृत कलश को एक दूसरे से छीन रह थे, तब उसकी कुछ बूंदें धरती की तीन नदियों में गिरी थीं। जिन तीन नदियों में अमृत बूंदे गिरी थी वे हैं गंगा, गोदावरी और क्षिप्रा। जहां ये बूंदें गिरी थीं, उस स्थान पर कुंभ का आयोजन होता है। प्रयाग में इस बार अर्ध कुंभ का आयोजन हो रहा है।

अर्धकुंभ क्या है?

हरिद्वार और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच 6 वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ का आयोजन होता है। पौराणिक ग्रंथों में भी कुंभ और अर्ध कुंभ के आयोजन को लेकर ज्योतिषीय विश्लेषण हैं। कुंभ पर्व हर 3 साल के अंतराल पर हरिद्वार से शुरू होता है। हरिद्वार के बाद कुंभ प्रयाग नासिक और उज्जैन में होता है। प्रयाग और हरिद्वार में मनाए जाने वाले कुंभ पर्व में और प्रयाग और नासिक में मनाए जाने वाले कुंभ पर्व के बीच में 3 सालों का अंतर होता है। यहां माघ मेला संगम पर आयोजित एक वार्षिक समारोह है।

कुंभ पर्व हिंदू धर्म का एक बहुत ही श्रद्धेय पर्व है जिसमें करोड़ों श्रद्धालु कुंभ पर्व वाले स्थानों हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक में स्नान करते हैं. शास्त्रों के मुताबिक, चार विशेष स्थानों पर ही कुंभ मेला लग सकता है. नासिक में गोदावरी नदी के तट पर, उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर, हरिद्वार और प्रयागराज में गंगा नदी के तट पर ही कुंभ का आयोजन हो सकता है। इनमें से प्रत्येक स्थान पर हर 12वें साल में, हरिद्वार और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच छह साल के अंतराल में अर्धकुंभ भी होता है।

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