व्यक्ति के जीवन को सुगम और सुखमय बनाने के लिए ज्योतिष में कई तरह के उपाय बताए गए हैं जिसमें से एक है व्यक्ति रक द्वारा रत्न धारण करना। जी हाँ, रत्न धारण करने से व्यक्ति की किस्मत और कार्यों में सकारात्मकता आती है। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि इससे जुडी सभी बातों का अच्छे से ज्ञान हो धारण करने के नियमों का पता हो। इसलिए आज हम आपके लिए रत्न धारण करते समय बरती गई सावधानियों की जानकारी लेकर आए है।
तो आइये जानते है इसके बारे में।
* रत्न हमेशा दोपहर से पहले सुबह सूर्य की ओर मुख करके धारण करना चाहिए।
* महंगे रत्न सोने में धारण करें और सस्ते रत्न जैसे मोति, मूंगा और उपरत्न चांदी या सस्ती धातु में धारण कर सकते हैं।
मोति, मूंगा जो समुद्र से उत्पन्न रत्न हैं, यदि रेवती, अश्विनी, रोहिणी, चित्रा, स्वाति और विशाखा नक्षत्र धारण करें तो विशेष शुभ माना जाता है। सुहागिन महिलाएं रोहिणी, पुनर्वसु, पुष्य नक्षत्र में रत्न धारण ना करें। ये रेवती, अश्विनी, हस्त, चित्रा, अनुराधा नक्षत्र में रत्न धारण करें, तो विशेष लाभ होता है।
* ग्रहों के 9 रत्नों में से मूंगा और मोति को छोड़कर बाकी बहुमूल्य रत्न कभी बूढ़े नहीं होते हैं। मोती की चमक कम होने पर और मूंगा में खरोंच पड़ जाए तो उसे बदल देना चाहिए। माणिक्य, पन्ना, पुखराज, नीलम और हीरा सदा के लिए होते हैं। इनमें रगड़, खरोच का विशेष असर नहीं होता है। इन्हें बदलने की जरूरत नहीं होती है।
* किसी भी रत्न को दूध में ना डालें। अंगूठी को जल से एक बार धोकर पहनें। रत्न को दूध में डालकर रात भर ना रखें। कई रत्न दूध को सोख लेते हैं और दूध के कण रत्नों में समा कर रत्न को विकृत कर देते हैं। अपने मन की संतुष्टि के लिए अपने ईष्ट देवी की मूर्ति से स्पर्श करा कर रत्न धारण कर सकते हैं।
* रत्न धारण करने से पहले यह देख लें कि कहीं 4, 9 और 14 तिथि तो नहीं है। इन तारीखों को रत्न धारण नहीं करना चाहिए। यह भी ध्यान रखें कि जिस दिन रत्न धारण करें उस दिन गोचर का चंद्रमा आपकी राशि से 4,8,12 में ना हो। अमावस्या, ग्रहण और संक्रान्ति के दिन भी रत्न धारण ना करें।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।
