कौन हैं छठी मैया और कैसे हुई लोक आस्था का महापर्व को मनाने की शुरुआत?

वैदिक पंचांग के अनुसार, छठ पूजा की शुरुआत आज यानी 25 अक्टूबर से नहाय खाय के साथ हो गई है। इस पर्व का समापन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होता है। छठ पूजा का व्रत 36 घंटे तक किया जाता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। क्या आप जानते हैं कि छठ मैया की उत्पत्ति कैसे हुई? अगर नहीं पता, तो ऐसे में आइए पढ़ते हैं छठ मैया की कथा।

मार्कण्डेय पुराण में विस्तार से बताया गया है कि ब्रह्मा जी ने प्रकृति का निर्माण किया, जिसके बाद देवी प्रकृति ने स्वयं को छह रूपों बांटा था। छठे हिस्से को छठी मैया के रूप में जाना गया। इसे बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। छठी मैया को मानस पुत्री के रूप में भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में संतान के होने पर छठे दिन छठी मैया की पूजा-अर्चना करने का विधान है, जिससे बालक को दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

कैसे हुई छठ पूजा की शुरुआत
पौराणिक कथा के अनुसार, एक राजा प्रियंवद थे और उनकी पत्नी का नाम मालिनी था। उनकी कोई संतान नहीं थी, जिसकी वजह से वह बेहद दुखी थे। इस समस्या से परेशान होकर वह एक दिन ऋषि कश्यप के पास पहुंचे। ऋषि ने उनको संतान प्राप्ति के लिए यज्ञ करने की सलाह दी, जिसके बाद उन्होंने यज्ञ किया। इसके शुभ फल प्राप्ति से पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। वह बालक मरा हुआ था। इसके बाद राजा ने अपने प्राण त्यागने का फैसला लिया। उसी समय कन्या देवसेना अवतरित हुईं और उन्होंने राजा प्रियंवद से कहा कि आप मेरी पूजा करें। मैं मूल प्रवृत्ति में छठे अंश से उत्पन्न हुईं हूं। इसी वजह से मैं षष्ठी कहलाऊंगी। इसके बाद राजा ने कन्या देवसेना की पूजा-अर्चना की, जिससे उसे पुत्र की प्राप्ति हुई। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि तभी से छठ पूजा की शुरुआत हुई।

कब है खरना 2025 डेट
आज यानी नहाय खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत हो गई है। वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर खरना होता है। इस बार 26 अक्टूबर को खरना है। 27 अक्टूबर को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और 28 अक्टूबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा

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