शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी वाड्रा प्राचीन मंदिर में दर्शन करने पहुंचीं. बता दें, गाजियाबाद के इस मंदिर का इतिहास लंकापति रावण से जुड़ा हुआ है. माना जाता है कि यहां एक बार जो दर्शन करने आता है उसकी मनोकामना भोले बाबा जरूर पूरी करते हैं. आइए जानते हैं क्या है इस मंदिर से जुड़ा अनोखा इतिहास और क्यों है इसकी इतनी मान्यता. इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि यहां लंका नरेश रावण के पिता ने कठोर तप किया था. मंदिर के मंहत नारायण गिरी के अनुसार इस मंदिर से पहले यहां एक सुरंग थी जो सीधा रावण के गांव बिसरख और हिंडन की तरफ निकलती थी. समय के साथ सुरंग का अस्तित्व खत्म होता चला गया. पुराणों में हिरण्यदा नदी के किनारे बसे हिरण्यगर्भ ज्योतिर्लिंग का वर्णन किया जाता है.यह वही जगह है जहां रावण के पिता विश्वश्रवा ने घोर तप किया था. बाद में हरनंदी नदी का नाम बदलकर हिंडन हो गया. जबकि हिरण्यगर्भ ज्योतिर्लिंग दूधेश्वर महादेव मठ मंदिर में जमीन से साढ़े तीन फीट नीचे स्थापित स्वयंभू दिव्य शिवलिंग है. दूधेश्वर महादेव मंदिर से जुड़ी सबसे प्रचलित कथाओं में से एक कथा गाय से जुड़ी हुई है. बताया जाता है कि नजदीक बसे कैला गांव की गाय जब यहां घास चरने आती थी तो यहां मौजूद टीले पर अपने आप ही उनके थनों से दूध गिरने लगता था. इस घटना से हैरान गांव वालों ने एक दिन इस जगह की खुदाई कर डाली. खुदाई के दौरान गांव वालों को यहां एक शिवलिंग मिला. गाय का दूध गिरने की वजह से इस शिवलिंग क नाम दूधेश्वर रखा गया.
Check Also
बड़ी खबर : मां शूलिनी के दरबार में महिला IAS अफसर को हवन यज्ञ करने से रोका गया
दुर्गा अष्टमी पर हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में स्थित मां शूलिनी के दरबार में …