आप सभी ने आचार्य चाणक्य का नाम सुना ही होगा और आप उन्हें जानते भी होंगे. ऐसे में उन्होंने ने सुसंगत और कुसंगत से व्यक्ति के जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में विस्तार से बताया है. जी हाँ, चाणक्य के अनुसार नौकरी, करियर, रुपये-पैसे और जीवन से जुड़े हर पहलू पर मित्रों की संगत का गहरा प्रभाव पड़ता है इस कारण से उन्होंने बताया कि दुराचारी मित्रों की संगत से बेहतर है. आइए जानते हैं उन्होंने कैसे मित्रों से दूर रहने की सलाह दी है.
* चाणक्य के अनुसार ऐसे मित्र जिनका आचरण अच्छा न हो उनसे दूर रहना चाहिए. ऐसे मित्र जो अपने माता-पिता का सम्मान न करता हो और अपनी पत्नी और बच्चों की इज्जत न करता हो, ऐसे मित्र का साथ हमें कभी नहीं पकड़ना चाहिए.
* आचार्य चाणक्य ने ऐसे व्यक्ति की मित्रता को भी हानिकारक बताया है जिसकी दृष्टि में अथवा नजर में पाप हो. जी हाँ, उनके अनुसार ऐसे व्यक्ति के साथ मित्रता करने से आप भी मुश्किल में फंस जाते हैं और अगर व्यक्ति की दृष्टि में पाप है तो वह आपके घर वालों को भी कभी अच्छी दृष्टि से नहीं देखेगा.
* आचार्य चाणक्य के अनुसार हमें किसी ऐसे व्यक्ति से भी मित्रता नहीं करनी चाहिए जो बुरे स्थान पर रहता है. जी हाँ , क्योंकि बुरे स्थान पर रहने वाला व्यक्ति खुद को उस स्थान की बुराइयों से दूर नहीं रख पाता.
* आचर्य चाणकय के मुताबिक़ ऐसा व्यक्ति जो बुरी आदतों से घिरा हो कभी भी उसके साथ मित्रता न करें क्योंकि उसकी बुरी आदतें आपके जीवन को भी बुरी तरह से प्रभावित कर सकती हैं. इसी कारण से हमेशा ही आप स्वजनों का ही हाथ थामें.
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।
