भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश अर्जुन को माध्यम बनाकर संसार को दिया था। महाभारत युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को तब गीता का पाठ पढ़ाया था, जब उनके कदम युद्ध भूमि में डगमगाने लगे थे। गीता के उपदेशों को सुनकर अर्जुन अपने लक्ष्य को पूरा करने की तरफ अग्रसर हुए। कहा जाता है कि गीता में जीवन की हर एक परेशानी का हल मिल जाता है। गीता कर्म करने और जीवन में आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देती है। ऐसे में किसी भी परेशानी का हल पाने और जीवन में सफलता पाने के लिए गीता की कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।
गीता में भगवान कृष्ण ने तीन चीजों को नरक का द्वार बताया है। हर व्यक्ति को जीवन में इनसे दूर रहना चाहिए। माना जाता है कि जो भी व्यक्ति गीता की इन तीन बातों का जीवन में अनुसरण कर लेता है वह हर काम में विजय हासिल कर सकता है। आइए जानते हैं उन बातों के बारे में…..
भगवान श्रीकृष्ण के अनुसार, काम, क्रोध और लोभ ये तीन आत्मा को नष्ट करने वाले नरक के द्वार हैं, इसलिए इन तीनों को त्याग देना चाहिए। काम मन को बांधता है, क्रोध उसे जला देता है और लोभ उसे अंधा बना देता है। ये तीन चीजें मिलकर मनुष्य का सर्वनाश कर देती हैं। ये तीनों मिलकर व्यक्ति को उस मार्ग पर ले जाते हैं, जहां विवेक, शांति और धर्म का अस्तित्व समाप्त हो जाता है।
काम
काम (इच्छा) जीवन की एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है, जो सभी प्राणियों में होती है। जब मनुष्य की इच्छाएं सीमित नहीं रहती है तो वह अपनी मर्यादाओं से पार जाने लगता है। श्रीकृष्ण के अनुसार, काम वासना व्यक्ति की सोच को खोखला कर देती है, जिससे वह धर्म और कर्तव्य दोनों से भटक जाता है। अनियंत्रित काम मन की शांति और विवेक को नष्ट कर देता है।
लोभ
लोभ निरंतर और अधिक पाने की ऐसी अतृप्त इच्छा है जो मानसिक अशांति और दुखों का कारण बनता है। जब धन, पद या वस्तुओं की चाह असीमित हो जाती है तो व्यक्ति का ईमान डगमगाने लगता है। जिससे वह दूसरों के अधिकार छीनने और अन्याय करने का प्रयत्न करने लगता है। श्रीकृष्ण के अनुसार, लोभ या लालच मनुष्य की आत्मा को बांध देता है। तो वहीं भौतिक और सांसारिक सुखों का लोभ और भी बुरा होता है।
क्रोध
जब इच्छाओं की पूर्ति नहीं होती या उनमें बाधा आती है, तो क्रोध उत्पन्न होता है। क्रोध में व्यक्ति सही और गलत का अंतर भूल जाता है। क्रोध बुद्धि का सबसे बड़ा शत्रु होता है। श्रीकृष्ण के अनुसार, एक क्षण का क्रोध आपके पूरे जीवन पर भारी पड़ सकता है।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।