जिस प्रकार खेतों में बिना पानी के फसल नहीं लहलहा सकती उसी प्रकार जिनालय बिना संस्कृति फल-फूल नहीं सकती। मंदिर बनाने के लिए धन से अधिक भावों की आवश्यकता होती है। क्योंकि धन से चारदीवारी तो की जा सकती है, लेकिन बिना भावों के मंदिर में अतिशय नहीं हो सकते। उसका फल कदापि प्राप्त न होगा। यह प्रवचन शनिवार को भक्तामर पाठ के दौरान गुरुवर श्री समाधि सागर जी महाराज ने दिए।

शांतिधारा अशोक जैन को प्राप्त हुआ। दीप प्रज्ज्वलन कमला जैन, अंजू जैन, ममता जैन, सरिता जैन, रश्मि जैन हस्तिनापुर ने किया। इसके बाद देव शास्त्र गुरु का पूजन कियागया। आदिनाथ भगवान की पूजन के बाद सभी तीर्थंकरों के अर्घ्य चढ़ाने के बाद भक्तामर विधान का शुभारंभ हुआ।
शनिवार को 251 परिवारों की ओर से विधान का आयोजन कराया गया। भक्तामर पाठ का शुभारम्भ हेमलता जैन, सतेंद्र कुमार जैन फरीराबाद ने किया। परम पूज्य गुरुवर श्री समाधि सागर जी महाराज ने कहा कि अक्सर हम धर्म को बुद्धि से ग्रहण करते हैं मन से नहीं। जिस दिन धर्म मन से धारण कर लेंगे हमारा कल्याण स्वत: हो जाएगा।
आज के विधान का विसर्जन सलिल जैन देहरादून ने किया। पंच परमेष्ठी की आरती का दीप प्रज्ज्वलन सुमत प्रकाश जैन गुरुकुल हस्तिनापुर ने किया। आदिनाथ भगवान की आरती का दीप प्रज्ज्वलन नीर जैन गुरुकुल हस्तिनापुर ने किया।
चौबीसों भगवान की आरती का दीप प्रज्ज्वलन सुनीता दीदी, गुरुकुल के बच्चों द्वारा किया गया। प्रश्न मंच के पश्चात विजेताओं को विपिन जैन दुर्गापुर पं. बंगालकी ओर से पुरस्कार प्रदान किए गए।
मुकेश जैन, मनोज जैन, राजीव, सुभाष, प्रेम जैन, विपिन शर्मा आदि सहित कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए क्षेत्र के अध्यक्ष विनोद जैन, महामंत्री मुकेश जैन, कोषाध्यक्ष राजेंद्र जैन मवाना, सह संयोजक मोतीलाल जैन, सुशील जैन मेरठ, राकेश जैन, रोहित जैन मेरठ का सहयोग रहा।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।