सत्संग में आत्मानुभवी महाराज ने कहा कि परमात्मा का भजन सिर्फ मानव जीवन में ही हो सकता है। भारतीय संस्कृति की गौरव गरिमा है कि यह ईश्वर के अधीन रहने की प्रेरणा देती है, जिससे मनुष्य का कल्याण होता है।

पटेल मैदान पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में आत्मानुभवी महाराज ने कहा धर्म में आस्था होने पर मनुष्य का मन विकार रहित होकर परम सुख एवं कल्याण युक्त बन जाता है, जिस प्रकार पेट भरने के लिए भोजन की आवश्यकता है, उसी प्रकार मन की शांति एवं आत्मविश्वास के उत्थान के लिए परमात्मा के ध्यान की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि मानव सेवा व मानवीय कल्याण ही धर्म का मूलमंत्र है। मानव चेतना में संपूर्ण क्रांति लाने के लिए अध्यात्म का शाश्वत शंखनाद करना आवश्यक है, उसी से वैचारिक एवं आर्थिक दरिद्रता दूर हो सकती है।
भारत की महान संस्कृति दुनिया का अध्यात्मिक विश्व विद्यालय है। यही से सद् संस्कार व सद् विचारों का उद्गम होता है। तत्पश्चात भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग अर्पित किए और भजनों से वातावरण भक्तिमय बना रहा। प्रभु की महा आरती आशा सहित अन्य श्रद्घालुओं ने उतारी।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।