कर्म मे ही छिपा है मानव का धर्म

कर्म कांडो से ही व्यक्ति अपने जीवन को महान बना सकता है. गीता में भगवान श्री क्रष्ण ने कर्म को महान बताते हुए अर्जुन को अनेकों उपदेश देते हुए युद्ध के लिए कहा पर अर्जुन वहाँ धर्म संकट में पड़ गया जबकि उसे पता था की उसके परिवारिक व्यक्ति ही बुरे कार्य करते हुए उसके खिलाफ एक बड़ा सणयंत्र रच रहे है। इसके बावजूद भी वह युद्ध से कतराता रहा पर भगवान श्री क्रष्ण के उपदेशो को ध्यान मे रखते हुए उसने अपने कर्म को प्रधानता दी और युद्ध के लिए तत्पर्य हो गया।

यहा बात कर्म की हे “जैसी करनी वैसी भरनी” व्यक्ति को महान बनने के लिए अच्छे कार्य करना जरूरी होता है चाहे वह कार्य किसी भी क्षेत्र का क्यों न हो मानव का सबसे बड़ा धर्म उसका कर्म ही होता है। जो कि मानव के जीवन को सुखद व सम्ब्रद्ध बनाता है मानव जीवन की सबसे बड़ी पूजा उसका कर्म ही होती है प्रत्येक व्यक्ति अपने भाग्य का निरधारण कर्मो के ही माध्यम से कर सकता है लोगों का मानना हे कि किस्मत साथ नही दे रही हे पर यह एक सोच हे पर भाग्य का निरधारण तो कर्मो से ही होता है। किसी के लिए किया गया अच्छा कार्य आपको आपके जीवन मे कहीं न कहीं आपकी सहायता जरूर करेगा इसलिये कहा गया हे कि हर क्रिया के फलस्वरूप ही प्रतिक्रिया होती है।

व्यक्ति के द्वारा किये गये कर्मो के फल इस जन्म के साथ साथ अगले जन्म मे भी प्राप्त होते हे कर्मो से ही जीव को 84 लाख योनियो में जन्म लेना पड़ता हे इसके बाद मानव तन प्राप्त होता हे अच्छे कर्म करने से व्यक्ति संसार के इस आबा-गमन से भी मुक्त हो सकता हे और उसे मोक्ष की प्राप्ती होती है। अच्छी सोच रखने से भी मानव के कर्म पर एक बड़ा प्रभाव पड़ता है इसलिये हर व्यक्ति को चाहिए कि जीवन को सफल बनाने के लिये अच्छे कर्म करे और लोगो के दुख दर्द को बांटे व खुशियाँ प्रदान करें।

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