खेड़ापति पूरी करते हैं सारी मुराद

भगवान श्री हनुमान जिन्हें सप्त चिरंजीवियों में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान श्री हनुमान को पुकारते ही वे किसी भी स्वरूप में दौड़े चले आते हैं। ऐसे श्री हनुमान जी थोड़ी सी भक्ति में ही प्रसन्न हो जाते हैं। रूद्रावतार श्री हनुमानजी पवन पुत्र और अंजनिनंदन कहे जाते हैं उनकी आराधना से श्रद्धालु मन चाहा वरदान पा सकता है। यूं तो देशभर में श्री हनुमान जी के कई मंदिर हैं लेकिन कुछ मंदिर बहुत ही जागृत हैं। जहां दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाऐं पूरी होती हैं। ऐसा ही एक धाम है श्री खेड़ापति धाम।

जी हां, भगवान का यह धाम मध्यप्रदेश के अतिप्राचीन नगर उज्जैन में प्रतिष्ठापित है। उज्जैन के आगर रोड़ के समीप यह मंदिर प्रतिष्ठापित है। खास बात यह है कि यहां प्रतिष्ठापित हनुमानजी की मूर्ति स्वयंभू है। भगवान की इस मूर्ति का ऊपरी भाग शिवलिंगाका है। साथ ही भगवान की इस मूर्ति में उन्हें गदाधारण करते हुए दिखाया गया है।

मंदिर इतना चैतन्य है कि यहां दर्शन करने से श्रद्धालु के सारे पाप दूर हो जाते हैं। मंगलवार के दिन श्रद्धालु यहां मनोकामना लेकर आते हैं और भगवान के चरणों में एक नारियल समर्पित करते हैं। नारियल समर्पित करने से श्रद्धालुओं को विवाह में आ रही बाधाओं का सामना नहीं करना पड़ता। यहां श्रद्धालुओं द्वारा हनुमान चालिसा का पाठ किया जाता है।

हनुमान चालिसा के पाठ से श्रद्धालुओं के सभी रोग दूर हो जाते हैं। साथ ही यहां पुष्प अर्पित करने से महिलाओं की गोद भराती है। मंदिर में मंगलवार और शनिवार को श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है और सुंदरकांड का पाठ भी होता है। दरअसल यह क्षेत्र प्राचीन समय में ग्रामीण बाहुल्य में आता था इसलिए इसे खेड़ा कहा जाता था। एक बार मंदिर के पुजारी को भगवान ने स्वप्न में दर्शन देकर यहां अपना स्थान होने की जानकारी दी।

जिसके बाद मंदिर के गर्भगृह वाले स्थान से भगवान की एक मूर्ति निकली। इस मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कर इसका पूजन किया गया और भगवान हनुमान जी इस खेड़े के पति अर्थात गांव के राजा कहलाए। तब से इनका नाम खेड़ापति रखा गया। यहां श्रद्धालु नारियल के साथ गु़ड़ चने चिरौंजी और अन्य खाद्य पदार्थों का भोग भगवान को लगाते हैं।

सात घोड़ों के रथ पर आरूढ़ भगवान सूर्य
कलयुग में हनुमान जी हें सदा सहाय

Check Also

नहाय-खाय आज, नोट करें पूजन नियम, मंत्र से लेकर सबकुछ

छठ की शुरुआत नहाय-खाय (Chhath Puja Nahay Khay 2025) के साथ यानी आज के दिन …