आइये जाने रमज़ान के ख़त्म होने पर क्यों मनाई जाती है ईद….

 Eid ul Fitr 2020 History & Significance: रमज़ान का पाक महीना ख़त्म हो चुका है और आज देशभर में ईद का त्योहार मनाया जा रहा है। रमज़ान के ख़त्म होते ही जो ईद मनाई जाती है, उसे ईद-उल-फितर कहा जाता है। इस्लाम समुदाय में इस त्योहार को बड़ी रौनक़ देखी जाती है। मस्जिदों को सजाया जाता है, लोग नए कपड़े पहनते हैं, घरों में एक से बढ़कर एक पकवान बनते हैं, छोटों को ईदी दी जाती है और एक-दूसरे से गले लगकर ईद की मुबारकबाद दी जाती है। हालांकि, इस साल लॉकडाउन के चलते, सभी लोग अपने-अपने घरों में ही ईद मनाएंगे।   

इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, रमज़ान के बाद 10वें शव्वाल की पहली तारीख को ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाता है। ईद कब मनाई जाएगी यह चांद के दीदार से तय होता है।

ऐसे मनाया जाता है ये त्योहार

ईद-उल-फितर के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग घरों में मीठे पकवान, खासतौर पर सेंवईं बनाते हैं, जिसे शूर-क़ोरमा कहा जाता है। आपस में गले मिलकर सभी शिकवे दूर करते हैं। इस्लाम धर्म का यह त्योहार भाईचारे का संदेश देता है, लेकिन इस हार कोरोना महामारी की वजह से सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रखना ज़रूरी है। यही वजह है कि इस बार लोग आपस ज़्यादा मिलेंगे नहीं और अपने-अपने घरों में ही ईद की खुशियां मनाएंगे।

इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर नहा-धोकर नए कपड़े पहनकर ईद की नमाज़ पढ़ते हैं। इस दिन पढ़े जाने वाली पहली नमाज़ को सलात अल फज़्र कहते हैं। ईद से पहले रमज़ानों में हर मुस्लमान के लिए ज़क़ात देना फर्ज़ है। इसके तहत हर इंसान पौने दो किलो अनाज या उसकी कीमत ग़रीबों को देना होता है।

लॉकडाउन में ईद

ईद, दीवाली के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है जिसमें सैकड़ों करोड़ की खरीददारी होती है, जो इस बार बिल्कुल बंद है। शायद ऐसा पहली बार होगा जब देश भर में ईद हमेशा जैसी नहीं मनाई जाएगी। इस बार न बाज़ारों में ईद की रौनक़ दिखेगी, न ही लोग मस्जिदों में नमाज़ पढ़ेंगे, न किसी के घर जाएंगे, न किसी से हाथ मिलाएंगे और न ही गले मिलेंगे। इस बार सभी लोग अपने घरों में अकेले या सिर्फ अपने परिवार के साथ ईद मनाएंगे। मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी इस पर रोक लगा दी है। उन्होंने अपील की है कि ईद के बजट की आधी रकम लॉकडाउन से बेरोज़गार हुए लोगों की मदद पर खर्च किए जाएं।

ईद-उल-फितर का इतिहास

इस्लाम की तारीख के मुताबिक ईद उल फितर की शुरुआत जंग-ए-बद्र के बाद हुई थी। दरअसल, इस जंग में मुसलमानों की फतह हुई थी जिसका नेतृत्व ख़ुद पैग़ंबर मुहम्मद साहब ने किया था। युद्ध फतह के बाद लोगों ने ईद मनाकर अपनी खुशी ज़ाहिर की थी।

चांद का महत्‍व

मुस्लिम धर्म के अनुयायी विशेष पंचांग या कैलेंडर को मानते हैं जो कि चंद्रमा की उपस्थिति और अवलोकन द्वारा निर्धारित किया गया है। रमज़ान के 29-30 दिनों के बाद ईद का चांद नज़र आता है। रमज़ान के महीने की शुरुआत भी चांद से होती है और ख़त्म भी चांद देखने से होता है।

ईद के दिन करते हैं अल्लाह का शुक्रिया

ईद उल फितर के मौके पर लोग खुदा का शुक्रिया करते हैं, क्योंकि अल्लाह उन्हें महीने भर उपवास पर रहने की ताकत देते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि रमज़ान के पवित्र महीने में दान करने से उसका फल दोगुना मिलता है। ऐसे में लोग ग़रीब और ज़रूरतमंदों के लिए कुछ रकम दान कर देते हैं।

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