आप सभी ने अब तक महाभारत से जुड़े कई किस्से सुने होंगे जो बेहतरीन रहे होंगे. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं वह कहानी जब अर्जुन ने युधिष्ठिर का वध करने के लिए तलवार उठा ली थी. आइए बताते हैं.
महाभारत – महाभारत युद्ध में जब कर्ण ने युधिष्ठिर को पराजित कर दिया था, तो घायल युधिष्ठिर को सहदेव उपचार के लिए छावनी में ले गए थे. यह बात अर्जुन को पता चली, तो वह भी श्रीकृष्ण के साथ युधिष्ठिर से मिलने के लिए गए. युधिष्ठिर को लगा कि अर्जुन ने कर्ण को मार दिया है, इसलिए मुझसे मिलने आया है, लेकिन जब युधिष्ठिर को पता चल कि कर्ण अभी भी जिंदा है, तो युधिष्ठिर को अर्जुन पर बहुत गुस्सा आया और अर्जुन को डांट दिया. गुस्से में युधिष्ठिर ने अर्जुन को अपने शस्त्र दूसरे को देने के लिए कह दिया.
यह सुनते ही अर्जुन को बहुत क्रोध आया और उन्होंने धर्मराज युधिष्ठिर को मारने के लिए तलवार उठा ली, क्योकि अर्जुन ने प्रतिज्ञा की थी कि जो कोई मुझे शस्त्र रखने के लिए कहेगा, मैं उसका वध कर दूंगा. प्रतिज्ञा का पालन करने के लिए अर्जुन ने युधिष्ठिर का वध करने के लिए जैसे ही अपनी तलवार उठाई, श्रीकृष्ण ने उन्हें रोक लिया. अर्जुन ने श्रीकृष्ण से कहा कि कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे मेरी प्रतिज्ञा भी पूरी हो जाए और मैं भाई की हत्या के अपराध से भी बच जाऊं. तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि सम्माननीय पुरुष जब तक सम्मान पाता है, तब तक ही उसका जीवित रहना माना जाता है. तुमने सदा ही धर्मराज युधिष्ठिर का सम्मान किया है.
आज तुम उनका थोड़ा अपमान कर दो. श्रीकृष्ण की बात मानकर अर्जुन ने युधिष्ठिर को कटुवचन कहे. युधिष्ठिर को ऐसी कठोर बातें कहकर अर्जुन बहुत उदास हो गए और उन्होंने आत्महत्या करने के लिए फिर अपनी तलवार उठा ली. तब श्रीकृष्ण ने उन्हें रोका और कहा कि तुम अपने ही मुंह से अपने गुणों का बखान करो, ऐसा करने से यही समझा जाएगा कि तुमने अपने ही हाथों अपने को मार लिया. फिर अर्जुन ने ऐसा ही किया. इस तरह श्रीकृष्ण ने धर्म ज्ञान और अपनी लीला से अर्जुन और युधिष्ठिर दोनों के प्राण बचा लिए.
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।