आज छठ पूजा का तीसरा दिन है। ऐसे में छठ व्रत को सबसे कठिन व्रतों में से एक कहा जाता है। इस व्रत में महिलाएं अपने सुहाग और संतान की मंगल कामना करती हैं। इसके लिए वह कुल 36 घंटों का निर्जला व्रत रखती हैं। आपको बता दें कि छठ पूजा का प्रारंभ चतुर्थी तिथि को नहाय खाय से होता है और इसकी समाप्ति सप्तमी के दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद होती है।
छठ पूजा में सिंदूर का महत्व – कहते हैं छठ का व्रत पति की लंबी आयु की कामना के लिए भी रखा जाता है। इस वजह से इस पूजा में सुहाग के प्रतीक सिंदूर को महत्व दिया जाता है। छठ पूजा के दिन स्त्रियां अपने पति और संतान के लिए बड़ी निष्ठा और तपस्या से व्रत करती हैं। आप सभी जानते ही होंगे हिंदू धर्म में विवाह के बाद मांग में सिंदूर भरने को सौभाग्य के नाम से जानते है।
जी दरअसल छठ पूजा में भी महिलाएं नाक से लेकर मांग तक लंबा सिंदूर लगाती हैं इसके पीछे यह मान्यता है कि मांग में लंबा सिंदूर भरने से पति की आयु लंबी होती है। कहते हैं विवाहित महिलाओं को सिंदूर लंबा और ऐसा लगाना चाहिए जो सभी को दिखे। कहा जाता है यह सिंदूर माथे से शुरू होकर जितनी लंबी मांग हो उतना भरा जाना चाहिए क्योंकि इसी से पति की उम्र बढ़ती है। ऐसी भी मान्यता है कि जो भी महिलाएं पूरे नियमों के साथ छठ व्रत को करती हैं, छठी मइया उनके परिवार को सुख और समृद्धि से भर देती हैं।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।