अक्सर जीवन में कठिनाई आती है. आकस्मिक घटनाओं, स्वास्थ्य बाधाओं, कारोबारी परेशानियों और अन्य दिक्कतों से हर एक को कभी न कभी झूझना ही पड़ता है. ऐसी परिस्थतियों में शिव जी मृत्युंजय मंत्र विशेष लाभकारी है.
ओम् त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धि पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिवबन्धनान्मृत्योर्मुक्षीयमामृतात्।।
इस मंत्र के उच्चारण में तनिक भी दोष स्वीकार नहीं किया जाता है. इसे अतिविनय भाव से आदर की मुद्रा में ही पढ़ा जाना चाहिए. इससे मृत्यु संकट तक टल जाता है. इस मंत्र पर विभिन्न वैज्ञानिक शोध जारी हैं. चिकित्सालयों में इस मंत्र का पाठ कराकर उनपर मंत्र के प्रभाव का अध्ययन किया गया है.
दैहिक व्याधियों में यह मंत्र प्रभावी होने के साथ अन्य भौतिक और दैविक संताप में भी यह अत्यंत असरकारी है. शनि की साढ़ेसाती और ढैया के नकारात्मक प्रभाव महामृत्यंजय के जाप से दूर हो जाते हैं.
विशेष अनुष्ठान में इसका जाप सवा लाख किया जाता है. उसका दसांश हवन कराया जाता है. इसमें 11 साधकों को सहयोग लिया जाता है. अकेले भी इसे पूरा किया जा सकता है. इस के लिए नित्य प्रति एक निश्चित संख्या में जप करना अनिवार्य होता है. इस जाप और हवन से इच्छित परिणाम की प्राप्ति होती है. सामान्य नित्य पूजा में इस मंत्र को शामिल करने से आपदाएं व्यक्ति से दूर रहती हैं.
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।