विभिन्न देव मंदिरों में भगवान के दर्शन के समय श्रद्धालु वहां लटकी हुई घंटी बजाकर अपने इष्टदेव को प्रणाम करते हैं। प्रायः मंदिर के प्रवेश द्वार के पास ऐसी घंटियां होती हैं। हिंदू धर्म में ये घंटियां अनेक सदियों से मंदिरों में विराजमान हैं।
भारत के अलावा जापान के विभिन्न बौद्ध मंदिरों में भी घंटियां बजाने की परंपरा है। मंदिरों में घंटियां क्यों बजाई जाती हैं? इसके पीछे सिर्फ प्राचीन परंपरा ही नहीं बल्कि एक गूढ़ रहस्य भी है।
इन घंटियों में से एक विशेष प्रकार की ध्वनि निकलती है। जब भी भक्त इसे बजाते हैं इसकी आवाज पूरे वातावरण में गूंजती है। माना जाता है कि पूजा-आरती या दर्शन आदि के समय घंटी बजाने से इसकी ध्वनि तरंगें वातावरण को प्रभावित करती हैं और वह शांत, पवित्र और सुखद बनता है।
इससे सकारात्मक शक्तियों का प्रसार होता है तथा नकारात्मक ऊर्जा का निष्कासन होता है। घंटी की ध्वनि मन को शांति प्रदान करती है। घंटी बजाने से यह भी लाभ है कि उस स्थान से अपरिचित लोगों को मालूम हो जाता है कि यहां देव मंदिर है।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।