चावल को शुक्र ग्रह का प्रतीक माना गया है जो धन वैभव लक्ष्मी और भौतिक सुख-सुविधाओं से जुड़ा हुआ है। ऐसे कहा जा रहा है कि इस पीले अक्षत को लाल रेशमी कपड़े से बांधकर तिजोरी में रखने से घर में लक्ष्मी आने के मार्ग खुलेंगे और जीवन भर बरकत बनी रहेगी।
अयोध्या में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर धूम मची हुई है। अब कुछ ही दिनों में रामलला के प्रतिमा की स्थापना होने वाली है। भगवान रामलला की मूर्ति की स्थापना 22 जनवरी, 2024 को प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के बाद होगी, जिसकी तैयारियां जोरों पर हैं। इस आयोजन में ऐसी कई महत्वपूर्ण भारतीय परंपराओं को निभाया जा रहा है, जिसका बड़ा ही धार्मिक महत्व है।
दरअसल, प्राण-प्रतिष्ठा के लिए देशभर में पारंपरिक रूप से पीले अक्षत के साथ निमंत्रण भेजा जा रहा है। अक्षत यानी हल्दी से रंगे हुए पीले चावल का उपयोग ऐतिहासिक रूप से त्योहारों या किसी शुभ कार्यक्रमों में आमंत्रित करने के लिए किया जाता था।
पीले अक्षत का धार्मिक महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चावल को शुक्र ग्रह का प्रतीक माना गया है, जो धन, वैभव, लक्ष्मी और भौतिक सुख-सुविधाओं से जुड़ा हुआ है। ऐसे कहा जा रहा है कि इस पीले अक्षत को लाल रेशमी कपड़े से बांधकर तिजोरी में रखने से घर में लक्ष्मी आने के मार्ग खुलेंगे और जीवन भर बरकत बनी रहेगी। साथ ही घर की सभी बाधाएं समाप्त होंगी।
अक्षत का उपयोग कहां-कहां कर सकते हैं?
- इस पीले चावल का उपयोग शुभ-प्रथाओं में कर सकते हैं।
- इसकी खीर बनाकर प्रसाद के रूप में परिवार के साथ ग्रहण कर सकते हैं।
- इसका उपयोग तिलक के रूप में भी कर सकते हैं।
- हाल ही में विवाह के बंधन में बंधने वाली दुल्हनों की पहली रसोई के पहले भोजन के रूप में इसका उपयोग कर सकते हैं।
- अक्षत को तिजोरी में रखने से सुख- शांति बनी रहेगी।
- पर्स में इस अक्षत को रखने से जीवन में कभी पैसों का आभाव नहीं रहेगा।
तिलक लगाते समय इन मंत्रों का करें जाप
- श्री रामचन्द्राय नमः
- चंदनम वंदे नित्यम पवित्रम पाप नाशनम
- कस्तूरी तिलकं ललाट पटले वक्ष: स्थले कौस्तुभं।नासाग्रे वरमौक्तिकं करतले वेणु: करे कंकणं॥सर्वांगे हरि चन्दनं सुललितं कंठे च मुक्तावली।गोपस्त्रीपरिवेष्टितो विजयते गोपाल चूडामणि:॥
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।