शास्त्रों में निहित है कि वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ है। कालांतर में राजा भगीरथ के पूर्वजों को मोक्ष दिलाने हेतु मां गंगा धरती पर अवतरित हुईं। धार्मिक मत है कि गंगा सप्तमी तिथि पर गंगा स्नान करने से जन्म-जन्मांतर में किए गए सारे पाप कट जाते हैं। साथ ही साधक को मां गंगा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
हर वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी मनाई जाती है। इस दिन मां गंगा की पूजा-उपासना की जाती है। शास्त्रों में निहित है कि वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ है। कालांतर में राजा भगीरथ के पूर्वजों को मोक्ष दिलाने हेतु मां गंगा धरती पर अवतरित हुईं। धार्मिक मत है कि गंगा सप्तमी तिथि पर गंगा स्नान करने से जन्म-जन्मांतर में किए गए सारे पाप कट जाते हैं। साथ ही साधक को मां गंगा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए, गंगा सप्तमी की तिथि, शुभ मुहूर्त एवं महत्व जानते हैं-
शुभ मुहूर्त
सनातन पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 14 मई को देर रात 02 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 15 मई को सुबह 04 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि मान होने के चलते 14 मई को गंगा सप्तमी मनाई जाएगी। इस दिन गंगा स्नान हेतु मुहूर्त सुबह 10 बजकर 56 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 39 मिनट तक है।
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय – सुबह 05 बजकर 31 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 07 बजकर 04 मिनट पर
चन्द्रोदय- सुबह 10 बजकर 54 मिनट पर
चंद्रास्त- देर रात 12 बजकर 58 मिनट पर
पंचांग
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 07 मिनट से 04 बजकर 49 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 33 मिनट से 03 बजकर 27 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 07 बजकर 03 मिनट से 07 बजकर 24 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 56 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक
योग
गंगा सप्तमी पर वृद्धि योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का भी संयोग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर के समय से शुरू हो रहा है। जबकि, रवि और वृद्धि योग का निर्माण प्रातः काल से हो रहा है।
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