वैशाख अमावस्या पर सौभाग्य और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही इस दिन दुर्लभ शिववास का भी संयोग बना है। इस योग का निर्माण प्रातः काल 08 बजकर 51 मिनट तक है। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। सौभाग्य योग संध्याकाल 05 बजकर 41 मिनट तक है।
ज्योतिष पंचांग के अनुसार, आज यानी 08 मई को वैशाख अमावस्या है। इस उपलक्ष्य पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान कर रहे हैं। साथ ही जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा की जा रही है। धार्मिक मान्यता है कि अमावस्या तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। पंडित हर्षित शर्मा जी की मानें तो वैशाख अमावस्या पर दुर्लभ शिववास समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में स्नान-दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। आइए, आज का पंचांग और राहुकाल जानते हैं-
आज का पंचांग
योग
ज्योतिषियों की मानें तो वैशाख अमावस्या पर सौभाग्य और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही इस दिन दुर्लभ शिववास का भी संयोग बना है। इस योग का निर्माण प्रातः काल 08 बजकर 51 मिनट तक है। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। सौभाग्य योग संध्याकाल 05 बजकर 41 मिनट तक है। वहीं, सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण दोपहर से हो रहा है।
पंचांग
सूर्योदय – सुबह 05 बजकर 35 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 07 बजकर 01 मिनट पर
चंद्रास्त- शाम 07 बजकर 30 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 10 मिनट से 04 बजकर 52 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 32 मिनट से 03 बजकर 26 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 07 बजे से 07 बजकर 21 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 56 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक
अशुभ समय
राहु काल – दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से 01 बजकर 59 मिनट तक
गुलिक काल – सुबह 10 बजकर 37 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक
दिशा शूल – उत्तर
ताराबल
अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, आर्द्रा, पुष्य, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, अनुराधा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद
चन्द्रबल
मेष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, कुंभ
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।