वैशाख माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi 2025) का व्रत किया जाता है। इस एकादशी को काफी खास माना गया है और शास्त्रों में भी इस व्रत को करने की महिमा बताई गई है। एकादशी के दिन तुलसी पूजा का काफी महत्व है ऐसे में चलिए जानते हैं एकादशी पर तुलसी पूजा विधि।
हर महीने में दो बार एकादशी का व्रत किया जाता है, एक बार कृष्ण और दूसरी बार शुक्ल पक्ष की एकादशी पर। इस प्रकार साल में 24 एकादशी के व्रत किए जाते हैं। इस दिन पर व्रत करने के साथ-साथ तुलसी पूजा का भी महत्व माना गया है। तुलसी, भगवान विष्णु को प्रिय मानी गई है। ऐसे में अगर आप इस दिन पर विधिवत रूप से तुलसी की पूजा करते हैं, तो इससे आपको धन-समृद्धि का भी आशीर्वाद मिल सकता है।
मोहिनी एकादशी मुहूर्त
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारम्भ 7 मई को सुबह 10 बजकर 19 मिनट पर हो रहा है। वहीं इस तिथि का समापन 8 मई को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर होगा। उदया तिथि के मुताबिक मोहिनी एकादशी का व्रत गुरुवार 8 मई को किया जाएगा।
इस तरह करें तुलसी जी की पूजा
मोहिनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होने के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा के बाद तुलसी की पूजा आरंभ करें। सबसे पहले तुलसी के आस-पास अच्छे से सफाई कर लें। इसके बाद तुलसी के पास दीपक जलाएं और तुलसी जी को लाल चुनरी अर्पित करें। ऐसा करने से साधक को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
रखें इन बातों का ध्यान
एकादशी के दिन तुलसी पूजा के दौरान तुसली को स्पर्श करने से बनचा चाहिए। एकादशी तिथि के दिन तुलसी में जल अर्पित करना शुभ नहीं माना जाता। धार्मिक मत है कि इस दिन पर तुलसी जी निर्जला व्रत करती हैं, ऐसे में जल अर्पित करने से उनका व्रत खंडित हो सकता है।
इसी के साथ एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते भी नहीं उतारने चाहिए। इसी के साथ भगवान विष्णु के भोग में तुलसी शामिल करना न भूलें, क्योंकि इसके बिना विष्णु जी का भोग अधूरा माना जाता है।
तुलसी जी के मंत्र –
एकादशी के दिन तुलसी पूजा के दौरान उनके मंत्रों का जप भी जरूर करना चाहिए। इससे आपके ऊपर विष्णु जी की विशेष कृपा बनी रहेगी।
महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
तुलसी गायत्री – ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् ।।
तुलसी नामाष्टक मंत्र –
वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।