विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi 2025) का पर्व बहुत खास माना जाता है। इस दिन साधक कठिन व्रत का पालन करते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार इस बार यह व्रत 1 मई को 2025 यानी आज रखा जा रहा है। वहीं इस दिन विनायक चतुर्थी कथा का पाठ भी जरूर करना चाहिए जो इस प्रकार है।
विनायक चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चतुर्थी अमावस्या और पूर्णिमा दोनों के बाद चौथे दिन आती है। इसलिए ये हर महीने मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भक्त भगवान गणेश की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। वहीं, इस व्रत का समापन चंद्रमा को अर्घ्य देने के साथ होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार यह व्रत (Vinayak Chaturthi 2025) 1 मई को 2025 यानी आज रखा जा रहा है, जो लोग इस पवित्र व्रत का पालन कर रहे हैं, उन्हें इसकी पावन कथा का पाठ भी जरूर करना चाहिए। साथ ही चंद्रमा को अर्ध्य देना चाहिए। ऐसा करने से बप्पा की कृपा मिलती है।
चन्द्रोदय समय (Moonrise Time) – सुबह 08 बजकर 23 मिनट पर।
विनायक चतुर्थी व्रत की कथा (Vinayak Chaturthi 2025 Katha)
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार एक पावन नदी के किनारे माता पार्वती भगवान शिव के साथ बैठी थीं। तभी उनके मन में चौपड़ खेलने का विचार आया, लेकिन उनके अलावा कोई तीसरा नहीं था, जो चौपड़ के खेल के दौरान हार और जीत का निर्णय कर सके। इस स्थिति में शिव जी ने और देवी पार्वती ने एक मिट्टी का बालक बनाया और उसमें प्राण का संचालन किया, जिससे खेल में हार-जीत का सही फैसला हो सके।
इसके पश्चात पार्वती माता लगातार तीन से चार बार विजयी हुईं, लेकिन उस मिट्टी के बालक ने शिव जी को विजयी घोषित कर दिया। इससे देवी पार्वती को क्रोध आ गया और उन्होंने उस बालक को लंगड़ा बना दिया। तब बालक को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने माफी मांगी, लेकिन मां पार्वती ने कहा कि श्राप अब वापस नहीं लिया जा सकता।इसलिए आप एक उपाय के जरिए इस श्राप से मुक्ति पा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि चतुर्थी के दिन कुछ कन्याएं पूजन के लिए आती हैं, उनसे व्रत और पूजा की विधि पूछना। बालक ने ठीक ऐसा ही किया और उसकी पूजा (Vinayak Chaturthi 2025 Methodlogy Story) से शिव पुत्र गणेश खुश हो जाते हैं और उसकी जीवन के सभी दुखों का अंत कर देते हैं। इससे बालक अपना जीवन फिर से खुश होकर व्यतीत करने लगता है।