भगवान श्रीकृष्ण ने युद्ध में प्रत्यक्ष रूप से भाग न लेने की प्रतिज्ञा की थी और अर्जुन के सारथी की भूमिका निभाई थी। युद्ध में शस्त्रों का उपयोग न करने के बाद भी भगवान कृष्ण का अहम योगदान रहा क्योंकि उनकी रणनीतिक बुद्धिमानी और युद्ध कौशल ने पांडवों को जीत दिलाने सहायता की थी। इस दौरान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को विराट रूप के दर्शन दिए थे।
इस बारे में तो लगभग सभी जानते होंगे कि महाभारत के युद्ध (Mahabharat story) के दौरान भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन के सारथी की भूमिका निभा रहे थे। एस समय ऐसा आया, जब अपने परिजनों को सामने देखकर अर्जुन ने हथियार डाल दिए थे।
तब भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान देते हुए अर्जुन को अपने विराट रूप से दर्शन दिए थे। मगर, क्या आप जानते हैं कि ऐसे और भी लोग रहें हैं, जिन्हें भगवान श्रीकृष्ण के विराट रूप से दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। चलिए जानते हैं इसके बारे में…
दिव्य दृष्टि से किए दर्शन
जिस दौरान युद्ध भूमि में युद्ध हो रहा था, उसी समय राजमहल में बैठे संजय भी इस युद्ध के सभी दृश्य देख पा रहे थे। उन्हें दिव्य दृष्टि का वरदान महर्षि वेदव्यास से प्राप्त हुआ था। ऐसे में जब अर्जुन को कृष्ण जी के विराट रूप के दर्शन हुए, तो उस समय संजय को भी अपनी दिव्य दृष्टि द्वारा भगवान श्रीकृष्ण के विराट रूप के दर्शन किए। उन्होंने इस स्वरूप का वर्णन धृतराष्ट्र के समक्ष भी किया।
सभा में धारण किया विश्वरूप
महाभारत के युद्ध से पहले जब भगवान श्रीकृष्ण पांडवों का शांति प्रस्ताव लेकर कौरवों के पास पहुंचे, तो दुर्योधन ने उन्हें बंदी बनाने की कोशिश की। तब भगवान श्रीकृष्ण ने भरी सभा में अपने विश्वरूप का दर्शन दिया। तब सभा में मौजूद भीष्म पितामह, विदुर और द्रोणाचार्य ने भगवान श्रीकृष्ण के विराट रूप के दर्शन दिए। वहीं, दुर्योधन और शकुनि इस रूप को देखकर भयभीत हो गए।
ये लोग भी रहे हैं साक्षी
अर्जुन के अलावा अक्रूर जी भी भगवान श्रीकृष्ण के विश्व स्वरूप के साक्षी रहे हैं। जब अक्रूर जी कंस के आदेश पर भगवान श्रीकृष्ण को गोकुल से मथुरा लेने आए, तो रास्ते में भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अपने विराट रूप से दर्शन दिए। इसी के साथ भगवान श्रीकृष्ण के चचेरे भाई उद्धव को भी कृष्ण जी के विश्व स्वरूप के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
जब भगवान श्रीकृष्ण उद्धव को सभी गोपियों को समझाने के लिए भेजते हैं, तो अंत में उद्धव अपना सारा ज्ञान उनके सामने भूल जाते हैं और गोपियां उन्हें प्रेम का असली अर्थ सीखाती हैं। जब उद्धव गोपियों को प्रणाम करते हुए और राधा जी का नाम जपते हुए वापस मथुरा लौटते हैं, तब उन्हें राधा जी समेत विष्णु रूप के दर्शन होते हैं।
सबसे पहले यशोदा मां को दिए थे दर्शन
भगवान श्रीकृष्ण ने सबसे पहले बालरूप में यशोदा मां को अपने दिव्य रूप के दर्शन कराए थे। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, जब बालपन में भगवान श्रीकृष्ण मिट्टी खा रहे थे। यह देखकर माता यशोदा ने कृष्ण से अपना मुंह खोलने को कहा।
जब श्रीकृष्ण ने अपना मुंह खोला, तो माता यशोदा को पूरे ब्रह्मांड के दर्शन हुए, जिसमें ग्रह, तारे, और अन्य लोक शामिल थे। इस घटना से यशोदा को यह ज्ञान हुआ कि कृष्ण कोई साधारण बालक नहीं, बल्कि स्वयं भगवान हैं।