आज यानी बुधवार 14 मई के दिन ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि है। पंचांग के अनुसार, इस तिथि पर बहुत से शुभ और अशुभ योग बन रहे हैं। ऐसे में आइए astropatri.com के पंडित आनंद सागर पाठक जी से जानते हैं आज का पंचांग।
आज का पंचांग
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया प्रातः 02:29 बजे तक, 15 मई
संवत् – 2082
नक्षत्र – अनुराधा नक्षत्र सुबह 11:47 बजे तक
योग – परिघ प्रातः 6:34 बजे तक, फिर शिव
करण
तैतिल दोपहर 01:34 बजे तक, गरज प्रातः 02:29 बजे तक, 15 मई
वार – बुधवार
ऋतु – ग्रीष्म
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय- सुबह 5 बजकर 31 मिनट पर
सूर्यास्त- शाम 7 बजकर 04 मिनट पर
चंद्रोदय- शाम 8 बजकर 05 मिनट पर
चंद्रास्त- सुबह 06:12 बजे, 15 मई
शुभ समय
अभिजीत मुहूर्त – कोई नहीं
अशुभ समय
राहुकाल – दोपहर 12:18 से दोपहर 01:59 बजे तक
गुलिक काल – प्रातः 10:36 से दोपहर 12:08 बजे तक
यमगंडा – प्रात: 07:13 से रात्रि 08:54 बजे तक
आज के नक्षत्र के बारे में जानिए
आज चंद्रदेव अनुराधा नक्षत्र से ज्येष्ठ नक्षत्र में होंगे। अनुराधा नक्षत्र सुबह 11 बजकर 47 बजे तक रहेगा।
सामान्य विशेषताएं: इस नक्षत्र में जन्मे जातक बुद्धिमान, उत्साही, मौज-मस्ती पसंद करने वाला, ऊर्जावान, कड़ी मेहनत करने वाला, भविष्यवाणी करने में सक्षम होते हैं।
प्रतीक: कमल का फूल (कठिनाइयों के बीच खिलने की क्षमता वाला)
पशु प्रतीक: मादा हिरण
स्वामी ग्रह: शनि ग्रह
स्वभाव: देव (ईश्वर समान)
अधिष्ठाता देवता: करुणा के देव
ज्येष्ठ नक्षत्र- सुबह 02:07 बजे तक, 15 मई
सामान्य विशेषताएं: इस नक्षत्र में जन्मे लोग सफल, प्रेम के प्रति संवेदनशील, मित्रता, संवेदनशील, प्रतिष्ठित, प्रसिद्धि, प्रतिभाशाली, रचनात्मक होते हैं।
प्रतीक: कान की बाली (जो विष्णु चक्र के समान है)
पशु प्रतीक: नर हिरण
स्वामी ग्रह: बुध
स्वभाव: राक्षस (दानव)
अधिष्ठाता देवता: इंद्र- वज्र के देवता
अशुभ समय खंड की सरल समझ
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, प्रत्येक दिन को कुछ विशेष समय खंडों में बांटा गया है, जिनमें से कुछ को नए अथवा महत्वपूर्ण कार्य आरंभ करने के लिए अनुकूल नहीं माना जाता है।
राहु काल- यह समय राहु देव से संबंध रखता है। इसे भ्रम, अनिश्चितता और अप्रत्याशित परिणामों से जुड़ा माना जाता है। आमतौर पर इस काल में यात्रा, निवेश, या नए कार्य की शुरुआत न करने की हिदायत है। ध्यान, साधना और आत्मचिंतन के लिए यह समय उपयुक्त है।
यम गंड- यह समय यम देव से जुड़ा होता है, जो अनुशासन और नियति का प्रतीक हैं। यम गंड में भी महत्वपूर्ण कार्य या यात्रा आरंभ करने से बचने की सलाह दी जाती है। यह काल आत्मनियंत्रण और संयम के लिए उपयुक्त माना गया है।
गुलिक काल- यह काल शनि देव के पुत्र गुलिक से संबंधित है। यह समय कुछ परंपराओं में निरपेक्ष या मध्यम रूप से शुभ माना गया है। कई ग्रंथों में तो इसे दीर्घकालिक कार्यों या आध्यात्मिक अभ्यास के लिए अच्छा बताया गया है।