हर महीने में मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार 20 मई को मासिक कृष्ण जन्माष्टमी व्रत किया जाएगा। इस दिन लड्डू गोपाल की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना होती है और माखन मिश्री का भोग लगाया जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी व्रत करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इस दिन पूजा के दौरान लड्डू गोपाल की आरती जरूर करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि आरती करने से साधक को पूजा का शुभ फल मिलता है और जीवन खुशहाल होता है।
श्रीकृष्ण जी की आरती
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै ।
बजे मुरचंग,
मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस,
जटा के बीच,
हरै अघ कीच,
चरन छवि श्री बनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद,
चांदनी चंद,
कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
श्री बाँकेबिहारी की आरती
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ।
कुन्जबिहारी तेरी आरती गाऊँ।
श्री श्यामसुन्दर तेरी आरती गाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
मोर मुकुट प्रभु शीश पे सोहे।
प्यारी बंशी मेरो मन मोहे।
देखि छवि बलिहारी जाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
चरणों से निकली गंगा प्यारी।
जिसने सारी दुनिया तारी।
मैं उन चरणों के दर्शन पाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
दास अनाथ के नाथ आप हो।
दुःख सुख जीवन प्यारे साथ हो।
हरि चरणों में शीश नवाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
श्री हरि दास के प्यारे तुम हो।
मेरे मोहन जीवन धन हो।
देखि युगल छवि बलि-बलि जाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
आरती गाऊँ प्यारे तुमको रिझाऊँ।
हे गिरिधर तेरी आरती गाऊँ।
श्री श्यामसुन्दर तेरी आरती गाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।