क्यों कहा जाता है भगवान गणेश को गजानन?

भगवान गणेश को गजानन क्यों कहा जाता है इसको लेकर कई सारी कथाएं प्रचलित हैं और सभी की अपनी-अपनी मान्यताएं हैं। गजानन का अर्थ है हाथीमुख वाले भगवान जो शक्ति धैर्य और बुद्धि का प्रतीक हैं तो आइए इसके पीछे की कथा पढ़ते हैं जो इस प्रकार हैं –

भगवान गणेश, विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता, अपने हर स्वरूप में गहरी आध्यात्मिक शिक्षा छिपाए हुए हैं। इन्हीं स्वरूपों में से एक है गजानन रूप, जिसे देखकर हर भक्त के मन में श्रद्धा और करुणा जाग उठती है। हाथीमुख वाले गणेश जी की यह कथा केवल एक पुराणकथा भर नहीं है, बल्कि यह त्याग, धैर्य और माता-पिता के प्रति अटूट समर्पण का संदेश देती है।

गजानन रूप हमें सिखाता है कि विपरीत परिस्थितियों में भी विवेक और धैर्य से काम लेना ही सच्चा साहस है।

गजानन स्वरूप की कथा

शास्त्रों के अनुसार, भगवान गणेश का हाथीमुख बनने की कथा अत्यंत भावनात्मक है। कहा जाता है कि माता पार्वती ने अपने पुत्र गणेश को द्वार पर पहरा देने के लिए खड़ा किया था। जब भगवान शिव वहां पहुंचे और उन्होंने घर में प्रवेश करना चाहा, तो गणेश जी ने उन्हें रोक दिया और बहुत प्रयास करने के बाद भी गणेश जी ने अपने पिता को प्रवेश नहीं करने दिया।

इस बात से क्रोधित होकर भगवान शिव ने गणेश जी का सिर अलग कर दिया। माता पार्वती दुख और पीड़ा से व्याकुल हो उठीं और तब भगवान शिव ने गणेश जी को पुनर्जीवित करने के लिए एक हाथी का सिर उनके शरीर पर स्थापित किया और गणेश जी का यही रूप गजानन कहलाया।

गजानन का अर्थ
‘गज’ का अर्थ है हाथी और ‘आनन’ का अर्थ है मुख। इस तरह ‘गजानन’ का अर्थ हुआ हाथीमुख वाले भगवान। लेकिन यह केवल एक रूप का संकेत नहीं है, बल्कि गहरे आध्यात्मिक संदेश को भी अपने भीतर समेटे हुए है। हाथी शक्ति, धैर्य, स्थिरता और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है।

जब हम भगवान गणेश को गजानन कहते हैं, तो यह हमें जीवन में कठिनाइयों के बीच विवेक और साहस से आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।

पिठोरी अमावस्या पर करें ये आरती
शुक्रवार के दिन बन रहे हैं कई शुभ योग

Check Also

शनि अमावस्या पर करें भगवान शनि की आरती, मिलेगा धन और यश

शनि अमावस्या हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखती है। इस दिन भगवान शनि की पूजा-अर्चना …