1934 से आज तक- लालबागचा राजा की भव्य परंपरा

लालबागचा राजा  मुंबई का प्रसिद्ध गणेश मंडल करोड़ों भक्तों की आस्था का केंद्र है। 1934 में स्थापित यह मंडल नवसाचा गणपति के रूप में जाना जाता है जहां गणेश चतुर्थी पर लाखों लोग दर्शन के लिए आते हैं। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान स्थापित इसने धार्मिक आयोजनों के साथ सामाजिक एकता को भी बढ़ावा दिया।

गणेश उत्सव की भव्यता और आस्था की बात हो तो सबसे पहला नाम लालबागचा राजा का है। यह केवल एक गणपति मंडल नहीं, बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं की भावनाओं और विश्वास का जीवंत केंद्र है। हर साल गणेश चतुर्थी पर मुंबई का लालबाग क्षेत्र तब एक आध्यात्मिक महासागर में बदल जाता है, जब भक्तजन नवसाचा गणपति यानी इच्छाओं को पूर्ण करने वाले लालबागचा राजा के दर्शन के लिए घंटों लंबी कतारों में खड़े रहते हैं।

इस राजा की पहचान सिर्फ मन्नतें पूरी करने वाले गणपति के रूप में नहीं, बल्कि इतिहास, स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक एकता से जुड़ी परंपरा के रूप में भी है।

लालबागचा राजा की स्थापना कब हुई?
लालबागचा राजा सार्वजनिक गणेश उत्सव मंडल की स्थापना वर्ष 1934 में हुई थी। यह मुंबई के लालबाग, परेल क्षेत्र में स्थित है और अपने दस दिनों के भव्य उत्सव के दौरान लाखों लोगों को आकर्षित करता है। इस गणपति को ‘नवसाचा गणपति’ यानी इच्छाओं को पूर्ण करने वाले गणपति कहा जाता है। हर वर्ष यहां दर्शन के लिए लगभग पांच किलोमीटर लंबी कतार लग जाती है और दसवें दिन इस मूर्ति का विसर्जन गिरगांव चौपाटी में किया जाता है।

इस मंडल का गठन उस समय हुआ जब स्वतंत्रता संग्राम अपने चरम पर था। लोकमान्य तिलक ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के लिए ‘सार्वजनिक गणेश उत्सव’ की परंपरा शुरू की थी। लालबाग के राजा के दरबार में धार्मिक आयोजन के साथ-साथ स्वतंत्रता और सामाजिक मुद्दों पर भी चर्चा होती थी।

धीरे-धीरे यह गणपति मुंबई ही नहीं बल्कि पूरे देश के लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गया और इन्हें ‘मन्नतों का गणपति’ भी कहा जाने लगा।

लालबागचा राजा को प्रसिद्धि कैसे मिली?
शुरुआत में यह मंडल स्थानीय मछुआरों ने शुरू किया था। कई भक्तों की मनोकामनाएं यहां पूरी होने लगीं, जिससे श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती गई। साथ ही, इसका एक कारण यह भी है कि यह “गणेश गल्ली गणपति” यानी “मुंबई का राजा” के पास स्थित है। कई बार गणेश गल्ली में लगी कतार लालबागचा राजा तक पहुंच जाती थी, और इसी तरह लोग यहां भी दर्शन करने लगे।

समय के साथ यहां आने वालों की संख्या बढ़ती गई और प्रसिद्धि इतनी फैल गई कि विदेशों से भी भक्त यहां आने लगे। वर्ष 2001 के बाद जब मीडिया ने इस गणपति के दर्शन और उत्सव को बड़े स्तर पर दिखाना शुरू किया, तब इसकी लोकप्रियता और अधिक बढ़ गई।

इसके बाद बड़े-बड़े नेता, उद्योगपति, बॉलीवुड कलाकार, क्रिकेटर और समाजसेवक भी नियमित रूप से लालबागचा राजा के दर्शन के लिए आने लगे।

शनि अमावस्या पर करें भगवान शनि की आरती, मिलेगा धन और यश
 पूजा के दौरान जरूर ध्यान रखें ये वास्तु नियम

Check Also

 अमावस्या और शनिवार का दुर्लभ संयोग

शनि अमावस्या का दिन (Shani Amavasya 2025) बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है खासकर जब यह …