अश्विन माह के पहले दिन बन रहे ये शुभ-अशुभ योग, पढ़ें पंचांग

Aaj ka Panchang 08 सितंबर 2025 के अनुसार आज से अश्विन माह की शुरुआत हो रही है। सनातन धर्म में इस माह का विशेष महत्व है। इस माह में मां दुर्गा और पितरों की पूजा-अर्चना करने का विधान है। अश्विन माह के पहले दिन कई योग भी बन रहे हैं। ऐसे में आइए एस्ट्रोलॉजर आनंद सागर पाठक से जानते हैं आज का पंचांग।

आज यानी 08 सितंबर से अश्विन माह की शुरुआत हो रही है। इस माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर सोमवार पड़ रहा है। इस दिन महादेव के संग मां पार्वती की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही विधिपूर्वक व्रत भी किया जाता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, महादेव की पूजा करने से शुभ फल मिलता है और जीवन में खुशियों का आगमन होता है। सोमवार के दिन शुभ-अशुभ योग भी बन रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं आज का पंचांग के बारे में।

तिथि: कृष्ण प्रतिपदा

मास पूर्णिमांत: अश्विन

दिन: सोमवार

संवत्: 2082

तिथि: प्रतिपदा रात्रि 09 बजकर 11 मिनट तक

योग: धृति प्रातः 06 बजकर 30 मिनट तक

योग: 09 सितंबर को शुल 03 बजकर 20 मिनट तक

करण: बलव 10 बजकर 27 मिनट तक

करण: कौलव 09 बजकर 11 मिनट तक

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय: सुबह 06 बजकर 03 मिनट पर

सूर्यास्त: शाम 06 बजकर 34 मिनट पर

चंद्रमा का उदय: शाम 06 बजकर 58 मिनट पर

चन्द्रास्त: सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर

सूर्य राशि: सिंह

चंद्र राशि: धनु

पक्ष: शुक्ल

शुभ समय अवधि
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 53 मिनट से 12 बजकर 44 मिनट तक

अमृत काल: दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से दोपहर 02 बजकर 04 मिनट तक

अशुभ समय अवधि
राहुकाल: सुबह 07 बजकर 37 मिनट से प्रातः 09 बजकर 1 मिनट तक

गुलिकाल: दोपहर 01 बजकर 52 मिनट से दोपहर 03 बजकर 26 मिनट तक

यमगण्ड: प्रातः 10 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक

आज का नक्षत्र
आज चंद्रदेव पूर्व भाद्रपद नक्षत्र में रहेंगे…

पूर्व भाद्रपद नक्षत्र– रात्रि 08 बजकर 02 मिनट तक

सामान्य विशेषताएं: क्रोधी, स्थिर मन, अनुशासनप्रिय, आक्रामक, गंभीर व्यक्तित्व, उदार, मिलनसार, दानशील, ईमानदार, कानून का पालन करने वाले, अहंकारी और बुद्धिमान

नक्षत्र स्वामी: केतु

राशि स्वामी: बृहस्पति

देवता: निरति (विनाश की देवी)

प्रतीक: पेड़ की जड़े

पितृ पक्ष प्रारंभ
पितृ पक्ष हिन्दू धर्म में उन पवित्र दिनों को कहा जाता है जब हम अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हैं। यह पक्ष अमावस्या से शुरू होकर 15 दिनों तक चलता है और इसे ‘श्राद्ध काल’ भी कहा जाता है।

इस दौरान व्रत और श्राद्ध कर्म करके हम अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं। पितृ पक्ष में दान-पुण्य करना विशेष फलदायी माना जाता है। दान के माध्यम से हम न केवल अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति पहुँचाते हैं, बल्कि अपने जीवन में भी सकारात्मक ऊर्जा और सुख-शांति का अनुभव करते हैं।

इस पावन समय में घर में विधिपूर्वक श्राद्ध करना, ब्राह्मणों को भोजन और दान देना, तथा अपने पूर्वजों के स्मरण में ध्यान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। पितृपक्ष हमें यह याद दिलाता है कि हमारे जीवन में जो भी सुख और समृद्धि है, वह पूर्वजों के आशीर्वाद से ही संभव है।

पितृ पक्ष पूजा विधि-
प्रातःकाल स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थल को साफ करके फूल और दीपक से सजाएं।
पितरों के चित्र या प्रतीक पूजा स्थल पर रखें।
तिल, पानी, फल, हलवा आदि पितरों को अर्पित करें।
ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें।
‘ॐ पितृणां शांति:’ जैसे शांति मंत्र का जाप करें।
तट या नदी के पास जाकर जल अर्पित (तर्पण) करें।
पूजा और तर्पण के बाद भोजन और अन्न जरूरतमंदों में वितरित करें।

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