धन की देवी लक्ष्मी जी के बारे में तो हम सभी जानते हैं, लेकिन क्या आपने कभी उनकी बड़ी बहन के बारे में सुना है। हर व्यक्ति यह चाह रखता है कि लक्ष्मी जी की कृपा उन पर बनी रहे। वहीं अलक्ष्मी जी का प्रवेश घर में न हो, इसके लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं। आज हम बताने जा रहे हैं कि लक्ष्मी जी की बड़ी बहन की उत्पत्ति कैसे हुई और वह किस तरह के स्थान पर वास करती हैं।
ऐसे उत्पन्न हुईं लक्ष्मी जी की बड़ी बहन
पद्मपुराण में इस बात का वर्णन मिलता है कि समुद्र मंथन के दौरान लक्ष्मी से पहली उनकी बड़ी बहन अलक्ष्मी निकली थीं। मान्यताओं के मुताबिक समुद्र मंथन के समय जो रत्न निकले, उनके बीच कुछ उपरत्न भी निकले थे, जिनमें से एक देवी अलक्ष्मी भी थीं।
अलक्ष्मी ने आसुरी शक्तियों का वरण किया और उनके बाद समुद्र मंथन से उत्पन्न हुई लक्ष्मी जी ने भगवान विष्णु को अपने पति के रूप में चुना। इसलिए लक्ष्मी जी धन-धान्य की देवी के रूप में पूजनीय हैं, वहीं इसके विपरीत देवी अलक्ष्मी गरीबी और दरिद्रता की देवी मानी गई हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों में यह भी उल्लेख मिलता है कि अलक्ष्मी जी का विवाह एक महर्षि से हुआ था।
कहां करती हैं निवास
जब अलक्ष्मी उत्पन्न हुईं, तो उन्होंने देवताओं से पूछा कि मुझे कहां निवास करना है, तब देवताओं ने उत्तर दिया कि आप उस स्थान पर निवास करेंगी, जहां रोज लड़ाई-झगड़े होते हों, जहां स्वच्छता का ध्यान न रखा जाता हो, अधार्मिक व गलत काम करते हों। साथ ही जहां स्त्रियों का सम्मान न किया जाता हो, सदा झूठ बोला जाता हो। इसलिए इन्हें दरिद्रता की देवी कहा जाता है। इसके उल्ट जहां के लोग धर्म का आचरण करते हों, साफ-सफाई का ध्यान रखते हों और प्रेम के साथ रहते हों, वहां अलक्ष्मी प्रवेश नहीं कर सकतीं।
इसलिए टांगे जाते हैं नींबू-मिर्च
आपने घरों व दुकानों के बाहर नींबू मिर्ची टंगे हुए जरूर देखा होगा। मान्यता है कि देवी अलक्ष्मी को तीखी और खट्टी चीजें पसंद हैं। ऐसे में अगर घर या फिर दुकान के बाहर नींबू-मिर्ची टांगे जाएं, तो इससे देवी अलक्ष्मी दरवाजे पर ही इनका भोज कर लेती हैं और दरवाजे से ही लौट जाती हैं। वह घर के अंदर प्रवेश नहीं करतीं।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।