नहाय-खाय आज, नोट करें पूजन नियम, मंत्र से लेकर सबकुछ

छठ की शुरुआत नहाय-खाय (Chhath Puja Nahay Khay 2025) के साथ यानी आज के दिन से हो रही है। यह चार दिवसीय कठिन व्रत का पहला दिन है, जो तन और मन की पवित्रता के लिए समर्पित है। इस दिन व्रती पवित्र नदी में स्नान कर सूर्य देव के सामने व्रत का संकल्प लेती हैं। नहाय-खाय में कद्दू-भात जैसे सात्विक भोजन का सेवन किया जाता है, जो व्रती को अगले 36 घंटे के निर्जला व्रत के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करता है।

Chhath Puja 2025: छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय के साथ 25 अक्टूबर, 2025 यानी आज से हो रही है। चार दिनों तक चलने वाले इस कठिन व्रत का पहला दिन तन और मन की पवित्रता के लिए समर्पित है। इस दिन से ही व्रती व्रत के कड़े नियमों का पालन करना शुरू कर देते हैं, तो आइए इस आर्टिकल में नहाय-खाय से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं –

नहाय-खाय का महत्व (Nahay Khay 2025 Significance)

‘नहाय-खाय’ का मतलब स्नान करना और खाना है। यह दिन व्रती को अगले 36 घंटे के निर्जला व्रत के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करता है। इस दिन व्रती पवित्रता के साथ भोजन कर खुद को पवित्र करती हैं। साथ ही विभिन्न पूजा अनुष्ठान का पालन करती हैं।

नहाय-खाय की पूजन विधि (Nahay Khay 2025 Rituals)

व्रती को सूर्योदय से पूर्व उठकर पवित्र नदी या तालाब में स्नान करना चाहिए। अगर किसी पवित्र घाट जाना मुश्किल है, तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें।

स्नान के बाद पूरे घर की अच्छी तरह सफाई करें। इस दिन से घर में किसी भी प्रकार की गंदगी नहीं होनी चाहिए।

साफ कपड़े पहनकर सूर्य देव के सामने व्रत का संकल्प लें।

इस दिन कद्दू (लौकी) की सब्जी, चना दाल और अरवा चावल का सात्विक भोजन बनाया जाता है।

भोजन बिना लहसुन-प्याज और साधारण नमक के बनाया जाता है। व्रती इस भोजन को सबसे पहले ग्रहण करती हैं, जिसके बाद परिवार के अन्य सदस्य प्रसाद के रूप में इसे खाते हैं।

नहाय-खाय का विशेष भोजन (Nahay Khay 2025 Prasad)

नहाय-खाय के दिन कद्दू-भात बनाने की परंपरा है। कद्दू को बहुत सात्विक माना जाता है, जो व्रती के शरीर को अगले दो दिनों के व्रत के लिए ऊर्जा देता है।

नहाय-खाय पूजन मंत्र (Nahay Khay 2025 Pujan Mantra)

ॐ घृणिं सूर्याय नमः

ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।

ग्रहाणामादिरादित्यो लोक लक्षण कारक:। विषम स्थान संभूतां पीड़ां दहतु मे रवि।।

ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।।

।।छठ माता की आरती।। (Chhathi Maiya Ki Aarti)

जय छठी मईया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।

ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥

अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।

शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥

ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।

सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥

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