भीगना है तो आनंद की बारिश में भीगिए

प्रभुjesus-space_04_01_2016 यीशु एक बार झील किनारे उपदेश दे रहे थे। उपदेश के कुछ अंश इस तरह हैं, एक किसान बहुत सारे बीज लेकर खेत में बोने के लिए निकला। बीज कुछ रास्ते में गिर गए तो कुछ पक्षियों ने चुग लिए। कुछ पथरीली जमीन पर गिरे तो कुछ नम जमीन पर गिरकर अंकुरित हो गए।

चट्टान होने के कारण कुछ बीजों की जड़ें ज्यादा परिपक्व नहीं हो पाईं। इसलिए वो जल्द ही सूख गए। शेष बीज उपजाऊ जमीन पर गिए और उनकी बालियों में दाने भर आए।

इतना कहने के बाद प्रभु यीशु शांत हो गए। फिर थोड़ी देर रुककर वह बोले, प्रभु का उपदेश देने वाला गुरु बीज बोने वाले किसान की तरह है। वह भक्त के ह्दय में परमात्मा का संदेश रूपी बीज बोता है। लेकिन कुछ भक्त पथरीली धरती की तरह होते हैं। जिन्हें गुरु पर तुरंत विश्वास होता है और तुरंत नष्ट हो जाता है। क्योंकि उन्हें सांसारिक चिंताओं ने वशीभूत किया हुआ होता है।

शेष भक्तों का ह्दय बेहद उपजाउ होता है। ऐसे भक्त संदेश को श्रद्धा पूर्वक ग्रहण करते हैं। वे स्यवं इस आनंद की वर्षा में भीगते हैं और ओरों को भी भिंगों देते हैं। यह जीवन की सच्चाई है।

संक्षेप में

ज्ञान दुनिया में चारों ओर है जरूरत है तो उसे अमल में लाने की।

 
सदियों पुराना है यह रहस्य, ऐसे होगा बुराई का खात्मा और धरती बनेगी स्वर्ग
यहां बालाजी देते हैं भक्तों को वीजा, 11 परिक्रमाओं से पूरी करते हैं मन्नत

Check Also

नवरात्रि के तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा की पूजा, नोट करें पूजा विधि

गुप्त नवरात्र (Gupt Navratri 2025 date) माघ और आषाढ़ माह में मनाए जाते हैं। इस …