पद्म पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार, एक बार श्रीराम ने हनुमानजी पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया था। भगवान ने अपने प्रिय भक्त पर ब्रह्मास्त्र क्यों चलाया? इसके पीछे भी एक कथा है। माना जाता है कि नारद मुनि के मन में हनुमान को लेकर असुरक्षा की भावना उत्पन्न हो गई कि वे उनसे भी बड़े भक्त हैं।
उन्होंने हनुमानजी की परीक्षा लेने की योजना बनाई। कुछ दिनों बाद श्रीराम ने एक भोज का आयोजन किया। उसमें अनेक ऋषियों-तपस्वियों को निमंत्रण दिया गया। विश्वामित्र भी वहां उपस्थित थे। तब नारद ने हनुमानजी को यह सुझाव दिया कि विश्वामित्र को बहुत ज्यादा आदर-सत्कार पसंद नहीं है। दूसरी ओर उन्होंने विश्वामित्र को उकसाया कि हनुमान आपकी अनदेखी कर रहे हैं।
रुष्ट होकर विश्वामित्र ने श्रीराम से शिकायत की कि वे हनुमानजी को दंडित करें। श्रीराम अपने गुरु की आज्ञा का उल्लंघन नहीं कर सकते थे, इसलिए उन्होंने हनुमानजी पर अनेक तीरों का प्रहार किया। उस समय हनुमानजी ध्यानमग्न थे।
उन पर श्रीराम के किसी भी अस्त्र का कोई असर नहीं हुआ। तब श्रीराम ने उन पर ब्रह्मास्त्र चलाया परंतु हनुमान पूर्ववत ध्यानमग्न बैठे रहे। उन पर ब्रह्मास्त्र का भी कोई प्रभाव नहीं हुआ। नारद समेत हर कोई चकित था। आखिर ब्रह्मास्त्र भी हनुमान का कुछ नहीं बिगाड़ सका?
तब नारद उनके समीप गए और उनसे प्रश्न किया कि वे ब्रह्मास्त्र के प्रहार से भी सुरक्षित क्यों हैं। हनुमानजी ने जवाब दिया- मैं उस समय भगवान श्रीराम का नाम जप रहा था। अत: ब्रह्मांड की कोई भी शक्ति मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती थी। जिसके पास राम नाम का कवच हो, अस्त्र-शस्त्र उसे क्या हानि पहुंचा सकते हैं?
यह उत्तर सुनकर नारद भी हनुमान के चरणों में नतमस्तक हो गए। अब उन्हें समझ में आ गया कि हनुमान श्रीराम के सबसे बड़े भक्त क्यों हैं। इस कथा एक का मर्म यह भी है कि जो समर्पित होकर भगवान की भक्ति करता है, बड़े से बड़ा संकट भी उसे हानि नहीं पहुंचा सकता।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।