यह मंदिर झारखंड के गोइलकेरा में स्थित है। यहां महादेवशाल धाम में साक्षात विराजमान हैं शंकर भगवान। मंदिर में खंडित शिवलिंग की पूजा करीब 150 वर्षों से हो रही है। शिवलिंग के खंडित होने की भी एक कहानी है। इसे खंडित करने का दुस्साहस एक ब्रिटिश इंजीनियर ने किया था और उसके बदले उसे जान गंवानी पड़ी।
दुस्साहस के बदले गंवाई जान
कहा जाता है कि ब्रिटिश शासन के समय यहां रेलवे लाइन बिछाने का काम चल रहा था। यह खुदाई गोइलकेरा के बड़ैला गांव के नजदीक हो रही थी। खुदाई में एक शिवलिंग निकला तो मजदूरों ने खुदाई रोक दी।
वहां मौजूद ब्रिटिश इंजीनिया रॉबर्ट हेनरी ने कहा कि ये सब बकवास है और उसने फावड़े से शिवलिंग पर प्रहार कर दिया। इससे शिवलिंग खंडित हो गया। शाम को घर लौटते समय रास्ते में उस इंजीनियर की मौत हो गई।
इस घटना से अंग्रेज डर गए और उन्होंने रेल की पटरियों का मार्ग बदल दिया। खंडित हुए शिवलिंग के दोनों टुकड़ों की पूजा होती है। जहां शिवलिंग निकला था, वहां देवशाल धाम है। खंडित शिवलिंग मंदिर में स्थापित है। दूसरा टुकड़ा करीब दो किमी की दूरी पर रतनबुर पहाड़ी पर मां पाउडी के दरबार में स्थित है।
इंजीनियर हेनरी की मौत के बाद उसका शव गोइलकेरा लाया गया था। उसे पश्चिम रेलवे केबिन के पास दफनाया गया। उसकी कब्र आज भी है।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।