क्यों हुआ था कृष्ण के यदुवंश का नाश?

phpThumb_generated_thumbnail (56)महाभारत के युद्ध में भयंकर विनाश हुआ। इसमें विजय तो पांडवों की हुई लेकिन उनके पक्ष को भी अपार हानि हुई थी। युद्ध में शामिल हर व्यक्ति को कुछ न कुछ खोना पड़ा था। युद्ध के बाद बदले घटनाक्रम से कृष्ण के यदुवंश का नाश हो गया था। प्रश्न है कि ऐसा क्यों हुआ?
 
युद्ध में दुर्योधन और उसके साथियों की मृत्यु होने से गांधारी बहुत दुखी थीं। युद्ध के लिए उन्होंने कृष्ण को दोषी माना और उन्हें शाप दे दिया कि उनकी ही तरह कृष्ण के वंश का भी नाश होगा। शापवश कृष्ण के वंश में विवाद होने लगे। वे गुटों में बंट गए और उनमें युद्ध होने लगे।
  
सात्यकी ने क्रोधवश कृतवर्मा का सिर काट दिया। युद्ध में संपूर्ण यदुवंश का नाश हो गया। कृष्ण द्वारा देह त्याग की कथा इससे अलग है। वे एक पीपल के वृक्ष के नीचे विश्राम कर रहे थे। उनका पैर किसी मणि के समान चमक रहा था। कुछ दूरी पर ही एक शिकारी अपने अस्त्रों के साथ किसी जानवर की प्रतीक्षा कर रहा था। 
 
जब उसे कृष्ण का पैर दिखा तो वह भ्रमवश उसे हिरण समझ बैठा और उसने तीर चला दिया। तीर लगने के बाद उसे ज्ञात हुआ कि ये श्रीकृष्ण हैं और उसने बहुत बड़ी भूल कर दी। वह कृष्ण से क्षमा मांगने लगा। तब भगवान ने शिकारी से कहा कि तुम भय मत करो। तुमने मेरा ही कार्य किया है और स्वर्गलोक को प्राप्त करोगे।
  
इस प्रकार श्रीकृष्ण भी स्वधाम चले गए। इसके पश्चात अनेक लोगों ने शरीर त्याग कर दिया। बाद में अर्जुन ने यदुवंश के लिए पिंडदान किया और संस्कार संबंधी कार्य पूर्ण करवाए। भगवान के स्वधाम जाने के बाद द्वारका भी समुद्र में समा गई। जीवन लक्ष्य पूर्ण होने के पश्चात पांडव अपनी अंतिम यात्रा के लिए हिमालय चले गए और उन्होंने रास्ते में देह त्यागी। सिर्फ युधिष्ठिर ही सशरीर स्वर्ग गए। 
 
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