महर्षि वाल्मीकि जयंती मनाई जाएगी। महर्षि वाल्मीकि ने महाकाव्य रामायण की रचना की थी। महर्षि वाल्मीकि को आदि कवि माना जाता है। वाल्मीकि को कई भाषाओं का ज्ञान था
कैसे बने डाकू रत्नाकर से महर्षि वाल्मीकि
पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि वाल्मीकि का नाम रत्नाकर था। इनका पालन-पोषण भील जाति में हुआ था। अपनी आजीविका को चलाने के लिए ये डाकू का काम करते थे जो जंगल में आते-जाते लोगों को लुटते थे। एक दिन नारद मुनि जंगल से जा रहे थे तभी रास्ते में डाकू रत्नाकर ने उन्हें पकड़ लिया था। नारद मुनि के प्रश्न पूछने पर कि तुम ये काम क्यों करते हो। तब डाकू रत्नाकर ने जवाब दिया कि परिवार का पालन पोषण के लिए यह पाप का काम करता हूं। इसके बाद नारद जी ने पूछा कि जो पाप तुम अपने परिवार के लोगों के लिए कर रहे हो क्या वह तुम्हारे पाप के हिस्सेदार बनेगे। नारद जी के इस प्रश्न का जवाब डाकू रत्नाकर नहीं दे सका।
नारद जी की इस बात का डाकू रत्नाकर पर गहरा असर पड़ा और उसने अपना पेशा छोड़कर कई वर्षों तक राम नाम का जप करने लगा। इसके बाद उन्होंने संस्कृत भाषा में महाकाव्य रामायण की रचना की। जिन्हें बाद में महर्षि वाल्मीकि के नाम से जाना जाने लगा।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।