शिर्डी के साईं बाबा एक भारतीय धार्मिक गुरु थे, जिन्हें उनके भक्त संत, फ़क़ीर और सतगुरु भी कहते थे। उनके हिन्दू और मुस्लिम दोनों भक्त उन्हें पूजते थे, और उनकी मृत्यु के बाद भी आज भी हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग उन्हें पूजते है। साईं बाबा की किसी एक समाज में प्रतिष्ठा नही है। उन्होंने अपने आप को एक सच्चे सद्गुरु को समर्पित कर दिया था, लोग उन्हें भगवान का अवतार ही समझते थे।

वैश्विक स्तर पर भी लोग साईं बाबा को जानते है। नश्वर चीजो का उन्हें कोई मोह नही था और उनका मुख्य उद्देश्य स्वयं को खुद की अनुभूति दिलाना था। वे लोगो को प्यार, दया, मदद, समाज कल्याण, संतोष, आंतरिक शांति और भगवन की भक्ति और गुरु का पाठ पढ़ाते थे।
उन्होंने लोगो को धार्मिक भेदभाव करने से भी मना किया था। साईबाबा लोगो को हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्म का पाठ पढ़ाते थे, उन्होंने उनके रहने वाली मस्जिद को हिन्दू नाम द्वारकामाई का नाम भी दिया था, जिसमे हिन्दू और मुस्लिम दोनों एकसाथ साईबाबा को पूजते थे। साईबाबा की एक प्रसिद्ध सुभाषित
 Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।
				