हिंदू कैलेंडर के अनुसार, कृष्ण पक्ष की पंद्रहवी तिथि को अमावस्या कहा जाता है। इस दिन चन्द्रमा नहीं दिखाई देता। इस दिन कई लोग किसी भी शुभ काम को नहीं करते हैं। हालांकि, अमावस्या तिथि को पूर्वजों की पूजा करने का भी विधान है।

आध्यात्मिक तौर पर अमावस्या का बहुत खास महत्व होता है। इस दिन पितरों और पूर्वजों की पूजा करना और गरीबों में दान पुण्य करना बहुत शुभ होता है। पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए भी इस दिन उपवास रखा जाता है। इस दिन पवित्र जल में स्नान करके व्रत रखने का भी खास महत्व होता है। इसे स्नान-दान की अमावस्या कहा जाता है।
पौष अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए उपवास रखने से पितृगण के साथ ही ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु, ऋषि, पशु-पक्षी भी तृप्त होते हैं। वहीं, सोमवती अमावस्या का श्राद्ध आदि कार्य के लिए बहुत महत्व माना जाता है, जो इस साल 4 फरवरी 2019 को सोमवार को पड़ रही है।
पौष अमावस्या के धार्मिक कर्मकांड
1. पौष अमावस्या पर पितरों को तर्पण करने का विशेष महत्व है। इस दिन नदी, जलाशय या कुंड में स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद पितरों का तर्पण करें।
2. पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान दें।
3. जिनकी कुंडली में पितृ दोष और संतान हीन योग है, उन्हें पौष अमावस्या के दिन उपवास कर पितरों का तर्पण अवश्य करना चाहिए।
4. अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ का पूजन करना चाहिए। तुलसी के पौधे की परिक्रमा करनी चाहिए।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।