धर्मग्रंथों में सोने को सर्वश्रेष्ठ धातु स्वीकार किया गया है। इसी कारण देवी-देवताओं की मूर्तियां, आभूषण, सिंहासन आदि सोने से बनाए जाते हैं या सोने का आवरण चढ़ाया जाता है।सोने को कभी जंग नहीं लगता और न ही यह धातु विकृत होती है। इसकी कांति सदा बनी रहती है जिस कारण इसे पवित्र माना जाता है।इसी तरह चांदी को भी पवित्र धातु माना गया है। सोना-चांदी आदि धातुएं केवल जल अभिषेक से ही शुद्ध हो जाती है।आयुर्वेद के अनुसार सोना बल और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होता है।

मंदिरों में तांबा, पीतल और कांसे के पात्र भी उपयोग में लाए जाते हैं, किंतु एल्युमीनियम, लोहा और स्टील के पात्र पूजा-अर्चना में पूर्णतया वर्जित हैं। सोना-चांदी प्रकृति द्वारा निर्मित धातु है अत: हर तरह से ये पवित्र और विशुद्ध मानी गई है।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।