रामायण में एक कथा प्रसिद्ध है कि हनुमानजी ने जानकी की मांग में सिंदूर लगा देख आश्चर्य से पूछा- ‘माते, आपने 
यह लाल द्रव्य मस्तक पर क्यों लगाया है?’ माता जानकी ने हनुमान की इस भोली उत्सुकता पर कहा, ‘पुत्र, इसे लगाने से मेरे स्वामी की रक्षा होती है, वे दीर्घायु होते हैं और वे मुझ पर सदैव प्रसन्न रहते हैं।’
हनुमानजी ने यह सुना तो वे बहुत प्रसन्न हुए और विचार किया कि जब अंगुलीभर सिंदूर से प्रभु की रक्षा होती है तो क्यों न पूरे शरीर पर सिंदूर लगाकर स्वामी को सुरक्षित कर दूं।
उन्होंने वैसा ही किया। जब वे इस तरह श्रीराम के सामने पहुंचे तो प्रभु मुस्कुराए बिना न रह सके। राम मुस्कुराए तो हनुमान का विश्वास मां जानकी के वचनों में पक्का हो गया। तभी से हनुमान की भक्ति का स्मरण करते हुए उन्हें सिंदूर चढ़ाया जाने लगा।
रामकथा सुनते हैं हनुमान
हनुमान को राम नाम प्रिय है। जहां भी रामकथा होती है वहां वे कथा श्रवण को आते हैं। रामकथा से पूर्व अक्सर विभिन्न जगहों पर स्वतंत्र आसन या चौकी अवश्य रखी जाती है।
इसी तरह यह भी मान्यता है कि रामकथा के श्रवण को हनुमान वृद्ध ब्राह्मण या वानर के रूप में सुनने के लिए अवश्य उपस्थित होते हैं। वे कथा प्रारंभ होने से पूर्व आकर कथा का समापन होने तक वहां मौजूद रहते हैं।
बजरंगबली के कई नाम हैं जो भक्तों के कष्ट दूर करते हैं। उनका एक नाम हनुमान है तो दूसरा अंजनी सुत (यानी अंजनी के पुत्र), तीसरा वायुपुत्र (वायुदेव के पुत्र), चौथा महाबल (जिनके पास अपरिमित बल है), पांचवां रामेष्ठ (रामजी के प्रिय), छठा फाल्गुण सखा (अर्जुन के मित्र), सातवां पिंगाक्ष (भूरे नेत्र वाले), आठवां अमितविक्रम (जो सदा विजयी हैं), नौवां उद्धिक्रमण (समुद्र को लांघने वाले)।
दसवां सीताशोकविनाशन (सीताजी के शोक का नाश करने वाले), ग्यारहवां लक्ष्मणप्राणदाता (लक्ष्मण को प्राणदान देने वाले) और बारहवां दशग्रीवदर्पहा (रावण के घमंड को चूर करने वाले) हैं। ये बारह नाम बजरंग बली के गुणों को बताते हैं।
इन नामों का स्मरण करने से ना सिर्फ उम्र में वृद्धि होती है बल्कि समस्त सुखों की प्राप्ति भी होती है। इन बारह नामों को जपने वाले व्यक्ति की हनुमान दसों दिशाओं और आकाश पाताल में रक्षा करते हैं।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।
				