पापों से मुक्ति दिलाते हे भोलेनाथ

भगवान शंकर हमेशा अपने सभी भक्त जनों की रक्षा करते हैं। उनकी मनोकामना को पूर्ण करते हे यदि भक्त सच्चे दिल से एक बार भी शिव की आराधना कर ले तो भगवान खुश होकर उसके जीवन मे उन्नति प्रदान करते हे उनकी भक्ति करना बहुत ही सरल होता है। पूरे इस भारत वर्ष में भगावन भोले नाथ के 12 ( बारह) ज्योतिर्लिंग हैं और उन सभी को अलग -अलग नाम से संबोधित करते हे  उनके इन बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक त्र्यंबकेश्‍वर ज्योतिर्लिंग हे यह महाराष्ट्र राज्य के नासिक ज़िले में गोदावरी नदी के किनारे पर स्थित है. गोदावरी को दक्षिण की गंगा के नाम से भी जाना जाता है।

शिव पुराण में बताया गया है कि एक बार वन में रहने वाले ब्राह्मणों की पत्नियां किसी बात को लेकर महर्षि गौतम मुनि की पत्नी अहिल्या से नाराज़ होकर उन्होंने अपने पतियों से गौतम मुनि से बदला लेने के लिए कहा। तो ब्राह्मणों ने गणेश जी से प्रार्थना की गणेश जी प्रसन्न होकर उनसे वर मांगने को कहा तब ब्राह्मणों नें वर मांगा कि हे प्रभु आप हम पर प्रसन्न हैं तो महर्षि गौतम को आश्रम से बाहर निकाल दें तब गणेश जी ने उन्हें ऐसा वर न मांगने के लिए समझाया पर वे वहाँ से हटे नहीं अड़े ही रहे. तब गणेश जी ने उनकी बात मान ही ली. अपने भक्तों की प्रसन्नता हेतु भगवान नें एक गाय का रूप धारण किया और महर्षि गौतम के खेत में जाकर घुस गये।

गाय को खेत में फसल खाते देख गौतम तिनका लेकर उसे भगाने के लिए आगे बढ़े तिनका का स्पर्श होते ही गाय वहीं गिरकर मर गई और गौतम को गौ हत्या का पाप लग गया।

ब्राह्मणों नें कहा तुम्हें आश्रम छोड़कर चले जाना चाहिए गौ हत्यारे के पास रहनें से हमें भी पाप भोगना पड़ेगा। उनकी बात को मानते हुये महर्षि गौतम अपनी पत्नी अहिल्या के साथ वहां से एक कोस दूर जाकर रहने लगे और गौतम ने उन ब्राह्मणों से प्रार्थना की कि आप मुझे गौ-हत्या के पाप से मुक्ति के लिए कोई उपाय बताएं।

ब्राह्मणों ने कहा, कि तुम्हारे द्वारा हुये इस पाप को बताते हुए तीन बार पृथ्वी की परिक्रमा करो और वहाँ से आने के बाद एक महीने का व्रत करना अतिआवश्यक हेऔर व्रत की सारी विधि बताई।मुनि को कहा की तुम गंगा जल लाकर उससे स्नान करना एक करोड़ शिव लिंगों बनाकर शिव जी की आराधना करना विधि पूर्वक पूजा पाठ करना और प्रभु से तुम्हारे द्वारा हुये इस पाप से मुक्ति कि प्रार्थना करना तभी उद्धार होगा।

महर्षि ब्राह्मणों की बात मानकर पत्नी के साथ भगवान शिव की उपासना करने लगे. भगवान शिव प्रसन्न होकर प्रकट हुए और गौतम से वर मांगने को कहा. महर्षि गौतम के द्वारा हुये इस पाप को बताते हुये कहा की भगवान आप मुझे गाय की हत्या के पाप से मुक्ति प्रदान करें तब भगवान शिव ने कहा, गौतम तुम हमेशा निष्पाप हो तुम पर कोई कलंक नहीं लगा हे  गौ-हत्या का अपराध तुम पर छलपूर्वक लगाया गया था। छल करने वाले तुम्हारे आश्रम के ब्राह्मण ही हे पाप के भागी तो वे ही हे और में उन्हे दंड देना चाहता हूं।

भगवान की बात सुनकर महर्षि ने कहा, प्रभु, उन्हीं के कारण तो मुझे आपके दर्शन प्राप्त हुए हैं आप उन पर क्रोध न करें. उन्हे क्षमा करें प्रभु तब ऋषियों एवं देवगणों ने भगवान शिव से वहां सदा निवास करने के लिए कहा. भगवान शिव ने उनकी बात मान ली और वहीं शिवलिंग के रूप में स्थित हो गए. उसी को त्र्यंबकेश्‍वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है।

महर्षि गौतम द्वारा लाई गई गंगा गोदावरी के नाम से जानी जाने लगी कहते हैं कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से गौ-हत्या जैसे पाप से मुक्ति मिल जाती है पर हमें कोई भी पाप नहीं करने चाहिये। यह ज्योतिर्लिंग समस्त पुण्य प्रदान करने वाला है।

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