कहते हैं शिवपुराण में कई ऐसी बातें लिखी हुईं हैं जिन्हे सभी को जानना चाहिए क्योंकि वह सभी के लिए जरुरी है. ऐसे में शिवपुराण में माता पार्वती और भगवान शिव के मध्य हुए संवाद का वर्णन किया गया है और इस संवाद को शिवपुराण में बड़े ही विस्तार पूर्वक बताया गया है. जी हाँ, ऐसे में आज हम भी इस लेख में शिव पूराण में वर्णित उन बातों के बारे में बता रहें हैं जिसमें बुढापे में माता पिता से संतान के दूर होने के कारण के बारे में बताया गया है. वह संवाद कुछ इस तरह है. आइए जानते हैं.
संवाद – एक बार माता पार्वती ने जिज्ञासावश भगवान शिव से प्रश्न किया और कहा कि हे प्रभु! मनुष्य ऐसा कौन सा पापकर्म करता है जिसके कारण उसे वृद्धावस्था में संतान वियोग का सामना करना पड़ता है. बूढापे में माता पिता से दूर रहना पड़ता है. माता पार्वती के प्रश्न पर भोलेनाथ ने कहा की हमारे सारे पापकर्म का कोई न कोई दंड प्रावधान जरुर होता है, जिसके कारण मनुष्य को अपने जीवन में पश्चाताप करना पडता है ऐसा करने से व्यक्ति की आत्मा फिर से शुद्ध हो जाती है.
भगवान शिव ने कहा की जो व्यक्ति अपने वर्तमान में या फिर अपने पूर्वजन्म में किसी कमजोर पर अत्याचार करता है इसके साथ ही अगर कोई व्यक्ति शक्ति का प्रयोग किसी कमजोर पर करता है, वह जीवन में बहुत बडा पाप करता है. जिस पाप का जीवन में प्रायश्चित करने के लिए वियोग मिलता है. जो व्यक्ति जीवन में इन पापों को करता उसे अपने पाप का प्रायश्चित करने के लिए संतान वियोग का सामना करना पड़ता है. अगर किसी को संतान वियोग का सामना करना पड रहा है तो उसे उसके किये पाप का प्रायश्चित करने के लिये क्षणिक या सम्पूर्ण जीवन तक माता पिता से वियोग मिलता है.
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।