मानव जीवन सवालों से भरा है, हर चीज में एक सवाल है, जिनमें से कई चीजों से जुड़े सवाल अब तक रहस्य बने हुए हैं। ऐसे ही अगर हिन्दू धर्म कि बात करें, तो यहां पर जब हम किसी भी भगवान कि पूजा-अर्चना करते हैं, तो तालियां बजाते हुए उनकी अर्चना करते हैं और यह आज से नहीं बल्कि काफी समय से चला आ रहा है, उसे ही देखते हुए आज तक लोग तालियां बजाते हुए भगवान की पूजा अर्चना करते हैं। लेकिन इन सब के पीछे क्या कभी आपने यह जानने कि कोशिश कि है, की जब भी हम भगवान कि पूजा अर्चना या फिर आरती करते है। तो तालियां क्यों बजाते है? अगर आप भी अब तक इस रहस्य से अंजान है, तो चलिए जानते है इस रहस्य के बारे में….
काफी पुराने समय से ही ताली बजाने का प्रचलन है। भगवान की स्तुति, भक्ति, आरती आदि धर्म-कर्म के समय ताली बजाई जाती है। ताली बजाना एक व्यायाम ही है, ताली बजाने से हमारे पूरे शरीर में खिंचाव होता है, शरीर की मांसपेशियां एक्टिव हो जाती है। जोर-जोर से ताली बजाने से कुछ ही देर में पसीना आना शुरू हो जाता है और पूरे शरीर में एक उत्तेजना पैदा हो जाती है। हमारी हथेलियों में शरीर के अन्य अंगों की नसों के बिंदू होते हैं, जिन्हें एक्यूप्रेशर पाइंट कहते हैं। ताली बजाने से इन बिंदुओं पर दबाव पड़ता है और संबंधित अंगों में रक्त संचार बढ़ता है। जिससे वे बेहतर काम करने लगते हैं। एक्यूप्रेशर पद्धति में ताली बजाना बहुत अधिक लाभदायक माना गया है। इन्हीं कारणों से ताली बजाना हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है।
 Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।
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