बजरंगी पंचायत मंदिर के प्रमुख ने बताया कि मंदिर में आज भी अपने क्षेत्र से जुड़ी छोटी-बड़ी समस्याओं को लेकर लोग इक्कठे होते हैं. यहां उसके निदान के लिए फैसले लिए जाते हैं. इसके साथ ही धार्मिक अनुष्ठान भी होते हैं.
यहां छोटे से चबूतरे पर भगवान हनुमान की मूर्ति है. आम जन-जीवन से जुड़े सभी फैसलों के लिए यहां पिछले 80 साल से चौपाल लगती रही है. आज भी यह परंपरा चली आ रही है. पंचायत में हनुमानजी को साक्षी मानकर फैसला लिया जाता है और हर कोई इसे हनुमान का फैसला समझकर स्वीकार करते हैं.
हनुमान भक्त ने बताया कि पहले से चली आ रही परंपरा आज भी कायम है. इसके साथ ही विभिन्न पारिवारिक आयोजन बजरंगी के आशीष के बिना अधूरे रहते हैं. उनके आशीष से ही घरों में मांगलिक कार्यो की शुरुआत होती है.
स्थानीय लोग बताते हैं कि लगभग 80 साल पहले सुखरू नाई ने पीपल के पेड़ के नीचे बने चबूतरे पर हनुमानजी की छोटी सी प्रतिमा स्थापित की. पंचायत सदस्यों और हनुमान भक्तों के सहयोग से से धीरे-धीरे मंदिर ने आकार लेना शुरू किया, जो वर्ष 1983 में पूरा हुआ.
आस्थावान लोग बजरंगी का आशीष लेकर ही घरों में मांगलिक कार्यो की शुरुआत करते हैं. हर नववधू गृह-प्रवेश से पहले बजरंगी का आशीष लेती है.
मंदिर में हनुमान भक्तों की ओर से विभिन्न धार्मिक आयोजन किए जाते हैं. खासकर हनुमान जयंती के अवसर पर भव्य आयोजन किया जाता है.