रामायण तो आप सभी ने पढ़ी होगी और इसमें आप सभी ने राजा दशरथ के बारे में भी पढ़ा होगा. कहा जाता है राजा दशरथ देवता और दानवों के बीच हो रहे युद्ध में देवताओं की सहायता के लिए गए थे और उस वक्त कैकेयी भी उनके साथ गई थी युद्ध भूमि में दशरथ के रथ का धुरा टूट गया, कैकेयी ने धुरे में अपना हाथ लगाकर रथ को टूटने से बचाया.
कहा जाता है युद्ध समाप्त होने के बाद जब राजा दशरथ को इस बारे में पता चला तो उन्होंने खुश होकर कैकेयी से दो वर मांगने को कहा और मंथरा नामक दासी के बहकावे में आकर कैकेयी ने राम के लिए 14 साल का वनवास और भरत के लिए राज्य की मांग की. ऐसे में अब यह सवाल मन में आता है कि कैकेयी ने राम के लिए 14 साल का ही क्यों वनवास मांगा, 15 या 13 साल का क्यों नहीं? तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर ऐसा क्यों हुआ….?
कहा जाता है बाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के अयोध्याखंड में इस किस्से का वर्णन किया गया है, जी दरअसल, कैकेयी ने ऐसा प्रशासनिक कारणों के चलते किया. वहीं उस दौर में ऐसा नियम था कि यदि कोई राजा 14 वर्ष के लिए अपना सिंहासन छोड़ देता है तो वह राजा बनने का अधिकार खो देता है और इस वजह से कैकेयी ने राम के लिए ठीक 14 साल का ही वनवास मांगा. जी दरअसल भरत ने कैकेयी के इस सपने पर पानी फेर दिया और भरत ने सिंहासन पर बैठने से इंकार कर दिया. इसी के साथ वनवास समाप्त कर जब प्रभु श्रीराम राज्य लौटे तो वही सिंहासन पर बैठे.
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।