ब्रह्मचारी थे गणेश भगवान फिर भी हो गए थे दो विवाह, जानिए क्यों…?

इन दिनों सभी जगह बप्पा की पूजा हो रही है क्योंकि इन दिनों गणेश चतुर्थी का पर्व चल रहा है. ऐसे में हम आपको बता दें कि गणेश चतुर्थी का पर्व हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व माना जाता हैं और हिन्दू लोग गणपति का पूजन सबसे पहले करते हैं. ऐसे में सभी देवताओं में से सबसे पहला स्थान श्री गणेश जी को दिया गया हैं और इसी वजह से किसी भी शुभी कार्य को करने से पहले गणपति की अराधना करना अनिवार्य माना जाता हैं. ऐसे में बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि श्री गणेश जी का विवाह बाकी सभी देवताओं से अलग संयोग में हुआ था क्योंकि गणेश जी शादी करना ही नहीं चाहते थे लेकिन फिर भी वह रिद्धि सिद्धि के साथ विवाह के बंधन में बंध गए थे.

आप सभी को बता दें कि भगवान गणेश अपनी शारीरिक बनावट को लेकर हमेशा ही परेशान रहते थे और एक बार जब वह तपस्या कर रहे थे तो वहां पर तुलसी जी गुजरी और गणेश जी को देखते ही उनपर मोहित हो गई। कहा जाता है उन्होंने गणेश जी से शादी करने की इच्छा जताई मगर गणेश जी ने खुद को ब्रह्मचारी बताकर उनके प्रस्ताव को मना कर दिया और इस बात से नाराज होकर तुलसी जी ने उन्हें दो विवाह का श्राप दे दिया. इसी वजह से श्री गणेश जी की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल नहीं किया जाता हैं. इसी के साथ एक कथा यह भी है कि श्री गणेश जी अपने हाथाी जेसे मुंह और मोटे पेट से परेशान रहते थे और उन्हें लगता था कि अगर मेरा विवाह नहीं होगा तो मैं किसी और की भी शादी नहीं होने दूंगा.

वहीं उसके बाद गणेश जी ने सभी के कामों में विध्न डालना शुरू कर दिया और इस काम में गणेश जी का साथ उनके वाहन मूषक ने भी दिया था. इसी के साथ गणेश भगवान के इस व्यवहार से सभी देवता परेशान हो गए और उसी दौरान वो ब्रह्माजी के पास अपनी परेशानी को लेकर गए. उसके बाद ब्रह्माजी ने अपनी दो मानस पुत्रियां रिद्धि और सिद्धि को लेकर गणेश जी के पास पहुंचे और उन्हें शिक्षा देने को कहा और अगर श्री गणेश के पास शादी की कोई भी खबर आती तो रिद्धि और सिद्धि उनका ध्यान कही और लगा देती इसी वजह से शादियां होने लगी. वहीं जब गणेश जी को इस बात का पता चला कि उनकी रूकावट के बिना विवाह हो रहे हैं तो वो क्रोधित हो गए तभी ब्रह्मा जी ने उनके सामने रिद्धि सिद्धि से विवाह का प्रस्ताव रखा, जिसके बाद गणेश जी ने खुशी-खुशी दोनों से विवाह कर लिया.

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